कृषि आदान विक्रेताओं की मनमानी पर कृषि विभाग हुआ सख्त, टेगिंग की मिली शिकायत तो होगी वैधानिक कार्यवाही
यूरिया-डीएपी के साथ अन्य उत्पाद खरीदने का दबाव नहीं चलेगा, दोषी पाए जाने पर वैधानिक कार्रवाई के निर्देश
हनुमानगढ़। खरीफ सीजन की शुरुआत के साथ खेतों में बीटी कपास व अन्य खरीफ फसलों की बुवाई और पहली सिंचाई का दौर जारी है। इसी बीच, किसानों द्वारा खाद, बीज और कीटनाशकों की खरीद को लेकर आ रही शिकायतों पर कृषि विभाग ने सख्त रुख अपनाया है। संयुक्त निदेशक कृषि (विस्तार) डॉ. प्रमोद कुमार द्वारा जारी निर्देशों में स्पष्ट कहा गया है कि किसी भी कृषि आदान विक्रेता द्वारा किसानों पर यूरिया व डीएपी के साथ अन्य उत्पाद खरीदने का दबाव नहीं बनाया जाए। यदि ऐसी टेगिंग की शिकायत मिलती है तो दोषी विक्रेता पर वैधानिक कार्यवाही की जाएगी। किसानों, किसान संगठनों और जनप्रतिनिधियों से मिल रही शिकायतों में यह बात प्रमुख रूप से सामने आई कि कई विक्रेता यूरिया और डीएपी जैसे जरूरी उर्वरक तभी उपलब्ध कराते हैं, जब किसान उनके साथ अन्य उत्पाद भी खरीदें। कई बार तो किसानों को यह कहकर मना कर दिया जाता है कि "उर्वरक उपलब्ध नहीं है", जबकि वे दूसरे उत्पाद न लेने की बात करते हैं। विभाग ने इसे स्पष्ट रूप से अनुचित व्यापारिक दबाव माना है और कहा है कि यह किसानों के हितों के विरुद्ध है।निर्देशों में कहा गया है कि कृषि आदान विक्रेता केवल किसानों की मांग के अनुरूप ही सामग्री बेचें। कोई भी ऐसी टेगिंग जो उर्वरकों के साथ अन्य उत्पादों को जोड़कर बेचना न की जाए। बिना मांग के उत्पाद बेचे जाने पर कार्रवाई तय है। प्रत्येक बिक्री का पक्का बिल कृषक को अनिवार्य रूप से प्रदान किया जाए और उसकी हस्ताक्षरित प्रति विक्रेताओं के पास सुरक्षित रखी जाए। इसके अतिरिक्त, बीटी कपास की फसल में गुलाबी सुंडी नियंत्रण को लेकर विभाग विशेष सतर्कता बरत रहा है। विभाग ने निर्देश दिए हैं कि बीटी कपास की फसलों में उपयोग किए जाने वाले कीटनाशकों की बिक्री केवल उन्हीं उत्पादों तक सीमित रहे, जिन्हें विभाग ने फसलवार सिफारिश के तहत मान्यता दी है। साथ ही, कृषि विक्रेताओं को यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि फेरोमेन ट्रैप की पर्याप्त उपलब्धता बनी रहे और वे किसानों को इन्हें लगाने के लिए प्रेरित करें। गुणवत्ता युक्त ट्रैप से कीट प्रबंधन अधिक प्रभावी होता है, जिससे बीटी कपास की उत्पादकता पर सकारात्मक असर पड़ता है। विभाग ने यह भी कहा है कि कीट प्रबंधन और उर्वरक उपयोग संबंधी तकनीकी जानकारी किसानों को समय-समय पर दी जाए, ताकि फसल को नुकसान से बचाया जा सके। संयुक्त निदेशक ने स्पष्ट किया कि कृषि आदानों की पारदर्शी एवं कृषक हितैषी आपूर्ति सुनिश्चित करना विभाग की प्राथमिकता है। कृषकों की शिकायतों की गंभीरता से जांच की जाएगी और नियमों की अवहेलना पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।