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साबुआना में घर घर पहुंचकर चिकित्सा विभाग की टीम ने की जांच

साबूआना में स्वास्थ्यकर्मियों की 30 टीमों ने 900 घरों का किया सर्वे

फ्रीज की ट्रे, कूलर, गमले, परिण्डे, बर्तनों, टंकी, कंटेनरों सहित पानी से भरे खड्ढ़ों का पानी नष्ट करवाया, अन्य ब्लॉकों में भी घर-घर किया जा रहा है सर्वे

हनुमानगढ़। साबूआना में डेंगू के केसेज को देखते हुए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने मंगलवार को भी घर-घर सर्वे अभियान के तहत कार्य जारी रखा। जिला एवं ब्लॉक स्तर से अधिकारियों-कर्मचारियों ने लोगों के घरों में जाकर लार्वा की जांच की एवं मच्छर उत्पत्ति के बारे में लोगों को जानकारी दी। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. नवनीत शर्मा के निर्देशन में साबूआना में डिप्टी सीएमएचओ डॉ. अखिलेश शर्मा, अनीश गांधी, एएनएम प्रशिक्षण केन्द्र का स्टॉफ एवं बच्चियां, टिब्बी बीसीएमओ डॉ. रितिका, बीपीएम मनोहर सिंह, डॉक्टर्स, एएनएम, डीबीसी एवं आशाएं उपस्थित रहीं।


सीएमएचओ डॉ. नवनीत शर्मा ने बताया कि साबूआना एवं नजदीकी क्षेत्रों में चिकित्सा एवं विभाग की टीमों द्वारा निरंतर एंटीलॉर्वल एवं एंटीएडल्ट एक्टीविटी आयोजित की जा रही है। मंगलवार को भी अलसुबह एएनएम प्रशिक्षण केन्द्र की बच्चियां एवं स्टॉफ चैकलिस्ट के अनुसार सामग्री लेकर साबूआना पहुंची। डिप्टी सीएमएचओ डॉ. अखिलेश शर्मा ने स्वास्थ्यकर्मियों की 30 टीमें बनाई, जिसमें एएनएम, डीबीसी, आशा कार्यकर्ता एवं एएनएम प्रशिक्षण केन्द्र की छात्राएं शामिल रहीं। सभी टीमों को पूरे दिन में 30-30 घरों का निरीक्षण करने का जिम्मा दिया गया। स्वास्थ्यकर्मियों ने घरों में जाकर महिलाओं एवं बच्चों को मच्छर उत्पत्ति के कारणों की विस्तार से जानकारी दी। इस दौरान घर में फ्रीज में पानी एवं कूलरों की साफ-सफाई की गई। घर में रखे गमलों एवं परिंडों में पानी बदला गया। 




डॉ. शर्मा ने बताया कि अन्य ब्लॉकों में भी मौसमी बीमारियों के चलते घर-घर सर्वे अभियान के तहत चिकित्साकर्मियों की टीमें अहतियात बरत रही है। उन्होंने बताया कि अभियान के तहत गठित टीमों ने अब तक 5274 क्षेत्रों की जांच की है। टीमों ने अब 79620 घरों की जांच की गई, जिसमें 879 घरों में लार्वा पाया गया। इनमें 87735 पानी के कंटेनरों की जांच की गई, जिसमें 1016 कंटेनरों में लार्वा पाया गया। लार्वा को मौके पर ही नष्ट किया गया। 14931 स्थानों में टेलीफॉस, पानी से भरे 9470 स्थानों में एमएलओ डाला गया। जांच के दौरान 1726 बुखार के रोगियों का उपचार मिल चुका है। आज विद्यालयों में बच्चों एवं घरों में महिलाओं-पुरुषों को मौसमी बीमारियों संबंधी स्वास्थ्य शिक्षा दी जा रही है।

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