Barcking News

6/recent/ticker-posts

रजिस्ट्रीकरण राजस्थान संशोधन विधेयक 2021 को साढ़े चार साल बाद मंजूर

रजिस्ट्रीकरण राजस्थान संशोधन विधेयक 2021 को राष्ट्रपति से मिली मंजूरी

प्रदेश में एक साल से कम की अवधि के किराएनामे का भी रजिस्ट्रेशन अनिवार्य

रजिस्ट्रीकरण राजस्थान संशोधन विधेयक 2021 बिल को राष्ट्रपति द्वारा मंजूर करने के बाद राजस्थान में अब एक साल से कम अवधि के लिए किराए पर ली जाने वाली संपत्ति का भी रजिस्ट्रेशन अनिवार्य हो जाएगा। वर्तमान में एक साल से अधिक समय के लिए ली गई संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। इसका असर खासकर उन लोगों पर पड़ेगा जो कम अवधि के लिए किराए पर मकान लेते हैं। रजिस्ट्रीकरण राजस्थान संशोधन विधेयक 2021 बिल साढ़े चार साल पहले तत्कालीन प्रदेश  की अशोक गहलोत सरकार ने 15 वीं विधानसभा  में 25 फरवरी, 2021 को  सदन में पेश किया था, जिसें सदन ने 17 सितंबर, 2021 में पारित कर दिया था। हालांकि, ये भी कहा यह भी गया है कि इससे सरकारी खजाना बढ़ने के साथ मकान मालिक एवं किराएदार के बीच होने वाली परेशानियों से राहत मिलेगी। राष्ट्रपति से प्राप्त मंजूरी की जानकारी 3 मार्च को सदन को दी जाएगी।

10 लाख तक की संपत्ति पर 200 रु. स्टाम्प ड्यूटी

कानून के तहत किराएनामे से किराएदारों का रजिस्ट्रेशन भी अब कराया जा सकेगा। नाम और पते की जानकारी मिलने से उनकी पहचान का पता करना भी आसान होगा। कभी कोई वारदत होती है तो पुलिस आरोपी को आसानी से तलाश कर सकेगी। इसके अलावा दस लाख रुपए तक की दुकान या कोई भी संपत्ति है, उस पर सिर्फ 200 रुपए ही स्टाम्प ड्यूटी लगेगी। वर्तमान में किराएनामे पर 0.02 प्रतिशत स्टाम्प ड्यूटी है। किराएनामे से अचल संपत्ति के विवाद भी कम होंगे। न्यायालयों से भार भी कम होगा।

पावर ऑफ अटॉर्नी के साथ जीवित प्रमाण पत्र

राजस्थान में किराएनामे से जुड़ा नया कानून लागू लागू होने के बाद पावर ऑफ अटॉनों देने वाले की मृत्यु होने के बाद भी संपत्ति का दुरुपयोग रुक सकेगा। इसके अलावा पावर ऑफ अटॉनों दी है और जिसे दी है रजिस्ट्री के समय उस दिन का जीवन प्रमाण भी देना जरूरी होगा। इससे यह साबित हो सकेगा कि पावर ऑफ अटॉर्नी सही है या गलत। इस व्यवस्था के बाद विवाद कम होने के आसार हैं।

एक साल से कम के पट्टों का रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन

कानून के प्रावधान किया गया है कि एक साल से कम की अवधि के प‌ट्टों का रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन होगा। इसके लिए आम लोगों को रजिस्ट्रेशन कार्यालय तक नहीं जाना होगा। इससे जनता को कोई परेशानी नहीं होने वाली है। तत्कालीन सरकार का मानना था कि रजिस्ट्रेशन एक्ट में जो कुछ भी किया गया है, वह जनता के हितों के ध्यान में रखते हुए किया गया है।



Post a Comment

0 Comments