जिला कलेक्टर क्यों बोले ये केंद्र मधुमक्खी पालकों के लिए वरदान सिद्ध होगा?
पश्चिमी राजस्थान का पहला ‘एकीकृत मधुमक्खी पालन विकास केन्द्र’ शुरू, किसानों की आय बढ़ाने का नया रास्ता
हनुमानगढ़। राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड के सहयोग से श्री खुशाल दास विश्वविद्यालय में सोमवार को पश्चिमी राजस्थान के पहले एकीकृत मधुमक्खी पालन विकास केन्द्र का शुभारम्भ हुआ। जिला कलेक्टर श्री काना राम ने सात दिवसीय प्रशिक्षण एवं शहद प्रोसेसिंग केन्द्र का फीता काटकर उद्घाटन किया। समारोह में उपनिदेशक कृषि श्री सुभाष चन्द्र डूडी, उपनिदेशक बागवानी डॉ. रमेश चन्द्र बराला, पूर्व उपनिदेशक कृषि श्री जय नारायण बैनीवाल और कृषि अनुसंधान अधिकारी श्री राजेन्द्र बैनीवाल मंचासीन रहे। इस मौके पर मधुमक्खी पालन से संबंधित पुस्तिका का विमोचन भी किया गया।
जिला कलेक्टर काना राम ने कहा कि यह केन्द्र हनुमानगढ़‐श्रीगंगानगर के मधुमक्खी पालकों के लिए वरदान सिद्ध होगा। जिन्हें अभी तक शहद का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा, उन्हें बाजार तक सीधा पहुँच और बेहतर दाम मिलेंगे। उन्होंने शिक्षित बेरोजगारों और छोटे किसानों से मुख्य धारा में आने का आह्वान करते हुए कहा कि कृषि आय बढ़ाने के लिए मधुमक्खी पालन सबसे व्यावहारिक वैकल्पिक व्यवसाय है। पूर्व उपनिदेशक कृषि श्री जय नारायण बैनीवाल ने स्पष्ट किया कि मधुमक्खी केवल शहद उत्पादन तक सीमित नहीं—परागण से फसल उपज 30-35 फ़ीसदी तक बढ़ जाती है। रिटायर्ड आई.जी. श्री गिरीश चावला ने इसे पश्चिमी राजस्थान में कृषि क्रांति का अगला कदम बताया। उन्होंने कहा, खेती की लागत लगातार बढ़ रही है; ऐसे में मधुमक्खी पालन किसानों की कुल आय में त्वरित वृद्धि कर सकता है।
ट्रस्ट अध्यक्ष स्टेज बाबूलाल जुनेजा ने जोर देकर कहा कि विश्वविद्यालय का उद्देश्य केवल डिग्री देना नहीं, बल्कि अपने क्षेत्र का सर्वांगीण विकास है। उन्होंने किसानों व युवाओं को सात दिवसीय राष्ट्रीय मधुमक्खी प्रशिक्षण शिविर में भाग लेकर नई और उन्नत तकनीकों से लाभ उठाने की अपील की। प्रोजेक्ट इंचार्ज डॉ. मंगलाराम बाजिया के अनुसार, प्रथम चरण में रानी मधुमक्खी गुणवत्ता केंद्र, हनी प्रोसेसिंग यूनिट, मधुमक्खी उपकरण निर्माण इकाई और कोल्ड स्टोरेज स्थापित किए जाएंगे। साथ ही फसलों में मधुमक्खियों द्वारा परागण के लिए कस्टम हायरिंग सेंटर भी खोला जाएगा। उद्घाटन कार्यक्रम के आयोजन में डॉ. विजय दुगेसर, डॉ. अभिनव कुमार, डॉ. अंकित कुमार, डॉ. विकास विश्नोई, डॉ. ममता, श्रीमती अमिता, श्री राहुल और श्री लोकेन्द्र सहित छात्र-छात्राओं का उल्लेखनीय सहयोग रहा।
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