सही समय पर सीपीआर तकनीक से बचाई जा सकती है जान : डॉ. नवनीत शर्मा
सीपीआर प्रशिक्षण सिखाकर स्वास्थ्य विभाग ने आमजन को बनाया जागरुक और सक्षम
हनुमानगढ़। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा बाढ़ आपदा प्रबंधन के अंतर्गत आपातकालीन स्थितियों में आम नागरिकों को जीवनरक्षक प्राथमिक चिकित्सा और सीपीआर (कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) की जानकारी दी जा रही है। रविवावर 7 सितम्बर को जिला एवं खण्ड स्तरीय अधिकारियों के साथ-साथ मेडिकल ऑफिसर्स द्वारा अपने-अपने क्षेत्रों एवं बाढ़ संभावित क्षेत्रों में अभियान चलाकर जागरुकता शिविर आयोजित किए जा रहे हैं।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. नवनीत शर्मा ने बताया कि बाढ़ आपदा प्रबंधन में लोगों को सीपीआर की जानकारी देना एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे आपातकालीन स्थिति में लोगों की जान बचाई जा सकती है। चिकित्साकर्मियों ने रविवार को जिले में आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें आमजन को सीपीआर तकनीक सिखाई गई। प्रशिक्षण में उपस्थित सभी लोगों को सीपीआर, बाढ़, पानी में डूबे व्यक्ति का उपचार, इलैक्ट्रिक शॉक के दौरान दिए जाने वाले उपचार, भूकम्प, सर्पदंश, हृदय रोग से बचाव की जानकारी देकर जागरुक किया। साथ ही बाढ़ व आगजनी से बचाव, घायलों का प्राथमिक उपचार, घायल व्यक्ति की ब्लीडिंग रोकना, चोटों को स्टेबलाइज करना और पीडि़त की जान बचाने के लिए सीपीआर देने समेत अन्य का डेमो भी दिया। वहीं डूबे हुए व्यक्ति को बचाने के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों की तकनीकी पहलुओं के बारे में जानकारी दी। यह प्रशिक्षण पुलिस, होमगार्ड, एनसीसी कैडेट, स्काउट कैडेट, सिविल डिफेंस, लायंस क्ल्ब, रोटरी क्लब, स्वयंसेवी संस्थाएं (एनजीओ) सहित समाजहित में कार्य कर वाले गणमान्य नागरिकों को भी दिया जाएगा।
डॉ. शर्मा ने बताया कि डिप्टी सीएमएचओ डॉ. अखिलेश शर्मा एवं हनुमानगढ़ बीसीएमओ डॉ. कुलदीप बराड़ ने पुलिस लाइन में जाकर पुलिसकर्मियों को सीपीआर के बारे में प्रशिक्षण दिया। हनुमानगढ़ बीसीएमओ डॉ. कुलदीप बराड़ ने सहजीपुरा एवं पीलीबंगा बीसीएमओ डॉ. मनोज अरोड़ा ने 23-एसटीजी, 26-एसटीजी जाकर ग्रामवासियों को प्रशिक्षण दिया। इसके अलावा चिकित्साकर्मियों ने 10-केडब्ल्यूडी (चक भाखरांवाला), भैरूसरी, श्रीनगर, अमरपुरा थेहड़ी में ग्रामीणों एवं नरेगा में कार्यरत कर्मियों को सीपीआर की जानकारी दी। अन्य ग्राम पंचायतों पर भी चिकित्साकर्मियों द्वारा प्रशिक्षण दिया जाएगा।
क्या है सीपीआर
डॉ. नवनीत शर्मा ने बताया कि डूबने की स्थिति, हार्ट अटैक अथवा किसी अन्य कारण से यदि धड़कन रूक जाती है, तो भी हृदय आधे से पौने घंटे तक जीवित अवस्था में रहता है। सीपीआर प्रक्रिया में एक खास शैली में दोनों हाथों से पीडि़त के सीने पर बार-बार दबाव डालना होता है। साथ ही पीडि़त का मुंह खोलकर अपने मुंह से सांस देनी होती है। इसके अलावा जब तक मेडिकल टीम ना आ जाए या मरीज होश में न आ जाए, तब तक सीपीआर के जरिए मरीज को बचाने की उम्मीदें बनाए रख सकते हैं। यह भी ध्यान रखें कि सतह ऊंची-नीचे ना हो। मरीज के सीने को हथेलियों से तीन से चार सेंटीमीटर तक बार-बार दबानरा होता है।
निजी एवं सरकारी शिक्षण संस्थाओं में भी दिया जाएगा सीपीआर का प्रशिक्षण
डिप्टी सीएमएचओ डॉ. अखिलेश शर्मा ने बताया कि बाढ़ आपदा प्रबंधन के अंतर्गत संभावित बाढ़ प्रभावित क्षेत्र एवं समस्त ग्राम पंचायत स्तर पर सीपीआर का प्रशिक्षण दिया जावेगा। 8 सितम्बर को जिले के समस्त सरकारी चिकित्सा संस्थानों पर चिकित्सा अधिकारी प्रभारी द्वारा समस्त स्वास्थ्यकर्मियों को सीपीआर, ड्राउनिंग, इलेक्ट्रिक शॉक, स्कॉर्पियन बाइट, स्नेक बाइट इत्यादि आपातकालीन प्रबंधन का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके अलावा 8 एवं 9 सितम्बर को जिले के समस्त राजकीय एवं निजी कॉलेज एवं विद्यालयों में पढ़ रहे बच्चों को सीपीआर का प्रशिक्षण दिया जावेगा।
सीपीआर प्रशिक्षण के लाभ
सीपीआर तकनीक सिखाने से आपातकालीन स्थिति में लोगों की जान बचाई जा सकती है।
आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण कार्यक्रमों में सीपीआर को शामिल करने से लोगों को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है।
सीपीआर प्रशिक्षण से लोगों में आत्मविश्वास बढ़ता है और वे आपातकालीन स्थिति में बेहतर ढंग से प्रतिक्रिया कर सकते हैं।
0 Comments