डायरिया की रोकथाम, सफाई और ओआरएस से रखें अपना ध्यान : सीएमएचओ डॉ. नवनीत शर्मा
जिले में स्टॉप डायरिया कैंपेन का आयोजन 1 जुलाई से 15 अगस्त तक
हनुमानगढ़। जिले में आगामी 1 जुलाई से 15 अगस्त, 2025 तक स्टॉप डायरिया कैंपेन का व्यापक रूप से आयोजन किया जाएगा। भारत सरकार के निर्देशानुसार यह अभियान राज्यभर में संचालित किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य डायरिया रोग की रोकथाम, नियंत्रण एवं उपचार के प्रति समुदाय में जागरूकता बढ़ाना है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. नवनीत शर्मा ने बताया कि इस वर्ष अभियान का मुख्य स्लोगन डायरिया की रोकथाम, सफाई और ओआरएस से रखें अपना ध्यान निर्धारित किया गया है। गर्मी और वर्षा ऋतु के दौरान दस्त रोग के मामलों में वृद्धि होती है, जो विशेषकर 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों में गंभीर स्थिति उत्पन्न कर सकती है। डॉ. शर्मा ने बताया कि अभियान के अंतर्गत अनेक प्रकार की गतिविधियां संचालित की जाएंगी। उन्होंने बताया कि सभी चिकित्सा संस्थानों पर ओआरएस कॉर्नर की स्थापना की जाएगी एवं चिकित्सा संस्थान में आने वाले लोगों को ओआरएस बनाने की विधि के बारे में भी जानकारी दी जाएगी। समुदाय स्तर पर जागरूकता गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा, जिसमें नुक्कड़ नाटक, पोस्टर, बैनर, रैली एवं संवाद शामिल रहेगी। जिले के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म टिवटर, फेसबुक एवं व्हाट्सअप चैनल 'आईईसी हनुमानगढ़Ó और चिकित्सा संस्थानों पर आईईसी प्रदर्शन के माध्यम से दस्त के कारणों, लक्षणों एवं रोकथाम के उपायों की जानकारी प्रसारित की जाएगी। चिकित्साकर्मियों द्वारा आमजन को खुले में शौच, प्रदूषित जल स्रोतों, और मक्खियों से होने वाले संक्रमण से बचाव के लिए हाथों की स्वच्छता रखने के बारे में जानकारी दी जाएगी। डॉ. नवनीत शर्मा ने बताया कि अभियान के अंतर्गत आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर 5 वर्ष तक के बच्चों के लिए ओआरएस घोल के पैकेट एवं जिंक की गोलियों का वितरण करेंगी। यह सामग्री नि:शुल्क वितरित की जाएगी ताकि दस्त होने की स्थिति में बच्चों को निर्जलीकरण (डिहाइड्रेशन) से बचाया जा सके। विशेष रूप से कच्ची बस्तियों, शहरी झुग्गी क्षेत्रों, एवं आर्थिक रूप से कमजोर समुदायों में जागरूकता एवं रोकथाम की गतिविधियां प्राथमिकता के आधार पर आयोजित की जाएंगी। प्रदूषित जल स्रोतों का उपयोग करने वाले क्षेत्रों में भी विशेष निगरानी रखी जाएगी। उन्होंने बताया कि यह अभियान जिले में डायरिया के प्रभाव को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा, जिसमें सभी विभागों और समुदाय की सक्रिय भागीदारी अपेक्षित है।