प्रकृति बचाओ-प्रदूषण हटाओ जनजागृति पैदल यात्रा:
लक्ष्य: प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा और जनहित में स्वच्छ पर्यावरण की स्थापना करना
राठीखेड़ा में प्रस्तावित एथेनॉल फैक्ट्री के विरोध में फैक्ट्री हटाओ-क्षेत्र बचाओ संघर्ष समिति चल रहा है सात माह से धरना
प्रशासन ने उचित कदम नहीं उठाया तो जयपुर तक करेंगे पैदल मार्च : सिद्धू
हनुमानगढ़ जिले की टिब्बी तहसील के समीपवर्ती ग्राम पंचायत राठीखेड़ा के चक पांच आरके में प्रस्तावित एथेनॉल फैक्ट्री के विरोध में पिछले सात माह से फैक्ट्री हटाओ-क्षेत्र बचाओ संघर्ष समिति के तत्वाधान में चल रहे आन्दोलन ने अपनी मांग को बुलंद करते हुए बुधवार को प्रकृति बचाओ-प्रदूषण हटाओ जनजागृति पैदल यात्रा शुरू की। जन जनजागृति यात्रा गुरुवार को हनुमानगढ में जिला कलेक्टर को ज्ञापन देने के बाद सम्पन्न हुई। प्रकृति बचाओ-प्रदूषण हटाओ जनजागृति पैदल यात्रा बुधवार को सुबह कस्बे के बाबा रामदेव मंदिर से शुरू हुई। आप तस्वीरों में देख सकते है कि प्रकृति बचाओ-प्रदूषण हटाओ जनजागृति पैदल यात्रा में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में किसान, आस पास के गांवों के ग्रामीण पहुंचे। एथेनॉल फैक्ट्री हटाओ क्षेत्र बचाओ की एक आवाज में नारा लगाकर मातृ शक्ति की अगुवाई में पैदल यात्रा शुरू की। यहां के मुख्य बाजार सहित मार्गो से होते हुए टिब्बी से हनुमानगढ़ रोड पर स्थित गांव सलेमगढ-मसानी, शेरेकां, कमरानी, नंदराम की ढाणी होते हुए शाम को हनुमानगढ टाउन पहुंचे। यात्रा में शामिल किसानो ने रात्रि को हनुमानगढ टाउन स्थित भटनेर धर्मशाला में विश्राम किया तथा गुरुवार की सुबह जनजागृति पैदल यात्रा भटनेर धर्मशाला से शुरू होकर भारत माता चौक सहित अनेक स्थानों पर जागृति पैदल यात्रा स्वागत किया गया। और जिला कलेक्ट्रेट में पहुंचे बड़ी संख्या में किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया और संघर्ष समिति के प्रतिनिधिमंडल ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। इस मौके पर समिति ने कहा कि इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण प्रदूषण के खतरे से लोगों को अवगत कराना और फैक्ट्री के निर्माण को रोकने की मांग को सरकार तक पहुंचाना था। पदयात्रा में शामिल युवा नेता महंगा सिद्धू ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि प्रशासन ने जल्द इस विषय पर उचित कदम नहीं उठाए, तो यह आंदोलन और तेज होगा। उन्होंने कहा,
"हम जयपुर तक पदयात्रा निकालने के लिए मजबूर होंगे। हमारा लक्ष्य स्पष्ट है—प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा और जनहित में स्वच्छ पर्यावरण की स्थापना है।"
इस विरोध प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिलाएं और पुरूष, सामाजिक कार्यकर्ता और पर्यावरणविद शामिल हुए। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि एथेनॉल फैक्ट्री से निकलने वाले रासायनिक अपशिष्ट से भूमि, जल और वायु प्रदूषित होंगे। जिससे स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य और कृषि पर गंभीर असर पड़ेगा। यह आपको बता दे कि टिब्बी तहसील के गांव राठीखेड़ा के चक पांच आरके में प्रस्तावित एथेनॉल फैक्ट्री के विरोध में किसानों का धरना पिछले वर्ष बारह अगस्त दो हजार चौबीस को बेमियादी धरना शुरू किया था। क्षेत्र के किसान दिन-रात बैठकर धरना दे रहे है। इसमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल हो रही है। फैक्ट्री हटाओ क्षेत्र बचाओ संघर्ष समिति के किसानों की एक ही मांग है कि टिब्बी क्षेत्र की उपजाऊ भूमि पर स्थापित करने की बजाय बंजर भूमि पर लगाया जाए ताकि क्षेत्र की जमीनों व पर्यावरण को नुकसान नही हो। ध्यान रहे कि किसानों की बुधवार को शुरू हुई प्रकृति बचाओ-प्रदूषण हटाओ जनजागृति यात्रा में बड़ी संख्या में शामिल होने के लिए संघर्ष समिति के सदस्य क्षेत्र के गांवों में जनसम्पर्क कर ग्रामीणों को एथेनॉल फैक्ट्री के दुष्प्रभावों की जानकारी देते हुए प्रस्तावित जनजागृति यात्रा में शामिल होने की अपील की थी।
पद यात्रा में रहे मौजूद
जनजागृति पैदल यात्रा में युवा नेता महंगा सिंह सिद्धू, अमरसिंह बेनीवाल, मदन दुगेसर, बलजिंद्र बराड, प्यारा सिंह, सुखजीत चठ्ठा, बलतेज बराड़, रामेश्वर वर्मा, सुखचैन कंबोज, बलराज रमाणा, तरसेम मान, इकबाल सरां, भजन बराड़, बलभदर सिंह, हरपाल बराड़, दीपा तलवाड़ा, प्रदीप तलवाड़ा, राजा बराड़, गुरबचन सिंह, राजवीर संद्धू, महेंद्र संद्धू, आकाश धालीवाल, हरबंस सेखों, रणजीत जोसन, वीरेंद्र बेनीवाल, रवि रिनवा, राजेंद्र टांडी, अमनदीप कौर, परमजीत कौर, नितिन ढाका, पालसिंह, कुलविंद्र कंबोज, मीठू बराड़, केवल कंबोज, विंदा सैनी, मनजीत सैनी, अवतार ढिल्लों, लखवीर बराड़, खुशविंद्र ढिल्लों, रूपिंद्र मान, गुरप्रीत कौर, सीमा सरारी, रचना बेनीवाल, रानी बेनीवाल, सुनीता बेनीवाल, नरेंद्र कौर जोसन, जसविंद्र कौर, मजीत कौर, रमन रमना, सरोज सहारन, कुलविंद्र संधू, जसविंदर संधू सहित बड़ी संख्या में किसान एवं ग्रामीण महिला पुरुष मौजूद रहे।
एथेनॉल फैक्ट्री: फायदे या नुकसान
एथेनॉल उत्पादन को सरकार जैव-ईंधन नीति के तहत प्रोत्साहित कर रही है, जिससे पेट्रोल में मिलावट कर आयात निर्भरता को कम किया जा सके। हालांकि, पर्यावरणविदों और स्थानीय नागरिकों का कहना है कि बिना उचित प्रबंधन के ऐसी फैक्ट्रियों से जल स्रोतों का दूषित होना, भूजल स्तर में गिरावट और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।