गुलाबी सुंडी के प्रबंधन हेतु बीटी कपास की बुवाई से पूर्व किसानों के लिए आवश्यक परामर्श
हनुमानगढ़ । वर्तमान समय में सरसों की कटाई का कार्य प्रगति पर है, जिसके उपरांत किसान खाली खेतों में बीटी कपास की बुवाई करते हैं। गुलाबी सुंडी के प्रकोप को रोकने के लिए कृषकों को कृषि विभाग द्वारा तकनीकी उपाय अपनाने की एडवायजरी जारी की गई है।
खेत प्रबंधन के महत्वपूर्ण उपाय
1. समन्वित कीटनाशी प्रबंधन (IPM) अपनाएं। गर्मी में गहरी जुताई करें, फसल चक्र अपनाएं और खेत व उसके आसपास उगे खरपतवारों को नष्ट करें।
2. बीटी कपास की बुवाई 1 मई से 20 मई के बीच ही करें ताकि फसल पर गुलाबी सुंडी के प्रभाव को कम किया जा सके।
3. बीटी कपास की पुरानी टिंडियों और अवशेषों को खेत में एकत्रित न करें। यदि खेत में बन्छट्टियां (पुराने कपास के पौधों की लकड़ियां) पड़ी हैं तो उन्हें झाड़कर अलग करें और टिंडियों को जलाकर नष्ट कर दें।
4. पुराने बीटी कपास के अवशेषों से निकलने वाले कीटों को रोकने के लिए अप्रैल माह से लकड़ियों को पॉलिथीन शीट/मच्छरदानी से ढकें और उनके आसपास फेरोमोन ट्रैप अवश्य लगाएं।
5. गुलाबी सुंडी प्रभावित क्षेत्रों से अप्रभावित क्षेत्रों में बीटी कपास की लकड़ियां न ले जाएं ताकि संक्रमण को रोका जा सके।
कपास की जिनिंग एवं बिनौलों से तेल निकालने वाली मिलों के लिए परामर्श
गुलाबी सुंडी के संक्रमण का एक प्रमुख स्रोत जिनिंग मिलों और बिनौलों से तेल निकालने वाली इकाइयां भी हैं। इन मिलों में संग्रहीत बिनौलियों में गुलाबी सुंडी कीट सुसुप्त अवस्था में रह सकता है और अनुकूल मौसम में फसल को नुकसान पहुंचा सकता है।
संक्रमण रोकने के लिए जरूरी कदम
1. बिनौलियों को खुले में भंडारित न करें। जरूरत पड़ने पर पॉलिथीन शीट/मच्छरदानी से ढककर रखें।
2. मार्च माह के अंत तक बिनौलियों का उपयोग कर लें। यदि वे बच जाते हैं, तो अप्रैल माह में एल्यूमिनियम फॉस्फाइड (3 ग्राम प्रति घनमीटर) से 48 घंटे तक धूम्रीकरण (फ्यूमिगेशन) करें ताकि सुंडी नष्ट हो जाए।
3. जिनिंग मिलों में बिना फ्यूमिगेशन किए बिनौलियों को न रखें। पशुओं के लिए केवल कपास की खली (केक) का ही उपयोग करें।
4. जिनिंग मिलों में कपास के कचरे को जलाकर या जमीन में गाड़कर नष्ट करें।
5. अनाज मंडियों एवं जिनिंग मिलों के आसपास फेरोमोन ट्रैप लगाएं और पकड़े गए कीटों को नष्ट करें। यह प्रक्रिया पूरे वर्ष जारी रखें।
ईंट भट्टों में उपयोग होने वाली कपास लकड़ियों (बन्छट्टियां) के प्रबंधन हेतु सुझाव*
कई किसान अपनी पुरानी कपास लकड़ियों को ईंट भट्टों में ईंधन के रूप में बेचते हैं, लेकिन इन लकड़ियों में भी गुलाबी सुंडी छिपी हो सकती है।
संक्रमण रोकने के लिए कदम
1. ईंट भट्टों के पास बड़ी मात्रा में संग्रहीत लकड़ियों को हटाया जाए। उन्हें झाड़कर अधखिले टिंडों को जलाकर या गाड़कर नष्ट करें।
2. मार्च के अंत तक लकड़ियों का ईंधन के रूप में उपयोग कर लें।
3. यदि लकड़ियों का उपयोग नहीं हुआ तो उन्हें पॉलिथीन शीट से अच्छी तरह ढक दें।
4. ईंट भट्टों के आसपास फेरोमोन ट्रैप लगाएं ताकि कीटों की निगरानी की जा सके।
कृषि विभाग की एडवायजरी के अनुसार, इन उपायों को अपनाकर किसान एवं मिल मालिक गुलाबी सुंडी के प्रकोप को रोक सकते हैं और बीटी कपास की फसल को सुरक्षित रख सकते हैं