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राजस्थान भाषा के शोधकर्ता डॉ. निमिवाळ का सम्मान

कुलचंद्र के डॉ. निमिवाळ को राजस्थानी साहित्य में शोध के लिए किया सम्मानित, क्षेत्र को किया गौरवान्वित 

आधुनिक राजस्थानी नाटकों पर किया पत्रवाचन   

25 वर्षों से राजस्थानी भाषा को मान्यता, सरंक्षण व  संवर्धन के लिए प्रयासरत




हनुमानगढ़। ईमानदारी एवं सच्चाई की राह पर चलने से मंजिल जरूर देरी से मिलती है लेकिन धैर्य बनाए रखना जरूरी है बाद के परिणाम आने पर एक अलग ही सुकून मिलता है तथा परिणाम हमेशा ही सकारात्मक आते है। ऐसा ही उदाहरण प्रस्तुत किया है, जिले की टिब्बी  तहसील के गांव कुलचंद्र के डॉ. गौरीशंकर निमिवाळ ने। जिन्हें राजस्थानी भाषा में शोधकार्य के लिए सम्मानित किया गया। उनका सम्मानित होना क्षेत्र के लिए गौरव की बात है। जयनारायण विश्वविद्यालय, जोधपुर के राजस्थानी विभाग के स्थापना के 50 वर्ष पूर्ण होने पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन "उजास उच्छब" का आयोजन बृहस्पति भवन, जोधपुर में 30-31 मार्च को संपन्न हुआ। राजस्थानी विभागाध्यक्ष व सेमिनार संयोजक डॉ. गजेसिंह राजपुरोहित ने बताया कि राजस्थानी विभाग के पचासवें स्थापना दिवस के अवसर पर "उजास उच्छब" आयोजित समारोह में कवि, रंगकर्मी डॉ. गौरीशंकर निमिवाल को राजस्थानी भाषा में उल्लेखनीय शोधपरक कार्य के लिए प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिह्न से नवाजा गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक ने की वहीं मुख्य अतिथि प्रख्यात कवि, नाटककार, आलोचक चिंतक प्रो. डॉ. अर्जुनदेव चारण थे। इस अवसर पर राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति विषय पर दो दिवस में विभिन्न सत्रों पर समकालीन राजस्थानी भाषा साहित्य के विभिन्न पक्षों पर आलोचनात्मक पत्र प्रस्तुत किए गए। राष्ट्रीय सेमिनार के पांचवें सत्र में डॉ.गौरीशंकर निमिवाल ने "आधुनिक राजस्थानी नाटक: ऐक दीठ" पर आलोचनात्मक पत्रवाचन किया। इस सत्र की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध संस्कृतिकर्मी, आलोचक व चिंतक डॉ. राजेश कुमार व्यास (जयपुर) ने की। खास बात ये हैं कि युवा कवि, रंगकर्मी डॉ. गौरीशंकर निमिवाल विगत 25 वर्षों से राजस्थानी भाषा साहित्य संस्कृति के प्रचार प्रसार व मान्यता, सरंक्षण व  संवर्धन हेतु कार्य कर रहे हैं। राजस्थानी व हिंदी नाटकों में रंगकर्मी के रूप में अभिनय  पूरे देश भर में अंतर्राष्ट्रीय व राष्ट्रीय नाट्य समारोहों में राजस्थानी रंग संस्थान  "रम्मत"जोधपुर के राजस्थानी नाटकों के भीष्म पितामह, नाट्य निर्देशक डॉ.अर्जुनदेव चारण  के सानिध्य में कार्य किया है। राजस्थानी नाटक, कविता को राष्ट्रीय स्तर के मंचो पर एक कवि, रंगकर्मी के रूप में भी प्रतिनिधित्व किया हैं। निमिवाल राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठीयों और सम्मेलनों में शोध पत्र पढ़ चुके है। राष्ट्रीय एकता एवं सद्भावना के राष्ट्रीय स्तर के शिविरों में सहभागिता, साहित्य अकादमी, नई दिल्ली की "ट्रैवल ग्रांट दी यंग राइटर्स" योजना के तहत पश्चिम बंगाल  की साहित्यिक यात्रा भी कर चुके हैं। जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर से राजस्थानी नाटकों पर पीएच.डी की हैं। राजस्थानी, हिंदी पत्र-पत्रिकाओं में कविताएं, आलोचना, शोध पत्र प्रकाशित होते रहते हैं। निमिवाल को राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर का वर्ष 2003 का भतमाल जोशी महाविद्यालय पुरस्कार वर्ष 2020-21 के तहत अकादमी का प्रेमजी प्रेम राजस्थानी युवा लेखन पुरस्कार मिल चुके है। निमिवाल की राजस्थानी बाल साहित्य व काव्य संग्रह की 'पछ्तावो, थारी मुळक, म्हारी कविता' पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।निमिवाळ वर्तमान में स्व.श्री गुरुशरण छाबड़ा राजकीय महाविद्यालय में सहायक आचार्य, राजस्थानी साहित्य के पद पर कार्यरत हैं।








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