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अश्वग्राम पीरकामड़िया के शिक्षक का राज्य शिक्षक सम्मान 2025 के लिए चयन, शिक्षक दिवस पर होंगे सम्मानित

अश्व ग्राम पीरकामड़िया का एक बार फिर 5 सितंबर को राजधानी में "राज्य शिक्षक सम्मान समारोह" में गूंजेगा नाम

प्रधानाचार्य विनोद पूनियां का शिक्षक दिवस पर राज्य पुरस्कार के लिए चयन, जयपुर में होगा सम्मान

"विद्यालय केवल एक अध्ययन का केन्द्र नहीं बल्कि एक जीवन निर्माण का केन्द्र बनाना है": पूनियां 

प्रधानाचार्य विनोद पूनियां राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय पीरकामड़िया 

टिब्बी। काम करो ऐसा कि एक पहचान बन जाए, हर कदम ऐसा चलो कि निशान बन जाए। ऐसा ही कर दिखाया है हनुमानगढ़ जिले की टिब्बी तहसील के अश्वग्राम पीरकामड़िया के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय के प्रधानाचार्य विनोद पूनियां ने। उनके नेतृत्व द्वारा विद्यालय के जर्जर भवन को जमीजोद कर 24 कक्षा कक्ष का नवनिर्माण करवाकर तस्वीर बदलने, उत्कृष्ट परिणाम, खेल क्षेत्र, सहशैक्षणिक गतिविधियों में अव्वल, समुदाय को विद्यालय से जोड़ने, विद्यालय में किए गए नवाचार, भामाशाहों से सहयोग प्राप्त करने, संस्था में स्वयं के सहयोग पर उन्हें 9 से 12 के वर्ग में  सर्वश्रेष्ठ शिक्षक के रूप में 5 सितंबर को "राज्य शिक्षक सम्मान" के लिए चयन हुआ है। खास बात ये भी है कि लगातार दूसरे वर्ष गांव के सरकारी स्कूल का शिक्षक राज्य स्तर पर शिक्षक सम्मान के लिए चयन होना गांव, स्कूल व विद्यालय के लिए गौरवान्वित करने वाला पल है। गौरतलब हैं कि गत वर्ष 2024 में इसी विद्यालय के हिंदी प्राध्यापक सोहनलाल भांभू राज्य शिक्षक सम्मान से नवाजे गए थे। जो वतर्मान में इसी विद्यालय में उपप्राचार्य के पद पर कार्यरत है। 

विद्यालय और समुदाय के बीच की कड़ी एवं एक कुशल टीम के कप्तान के रूप में छोड़ी अमिट छाप 

सामुदायिक भावना से सहयोग का एक यूनिक मॉडल प्रस्तुत करने वाले गांव पीरकामड़िया के सरकारी स्कूल में एक अच्छे टीम लीडर विनोद पूनियां के नेतृत्व में गांव के अपार स्नेह, स्टाफ सदस्यों के सहयोग से विद्यालय का भौतिक व शैक्षणिक दृष्टि से एक आदर्श मॉडल प्रस्तुत किया है। उन्होंने 6 जनवरी 2021 को अनेक चुनौतियों के सामने पीरकामडिया के सरकारी स्कूल में प्रधानाचार्य के पद पर कदम रखा। उन्होंने चुनौती के सामने धैर्य रखकर, परिस्थिति को स्वीकार कर पीरकामड़िया के संत आलोक गिरी जी महाराज के आशीर्वाद से प्रत्येक व्यक्ति समुदाय से मिले अपार स्नेह और सहयोग से इस प्रकार आगे बढ़े कि विद्यालय के जर्जर भवन के स्थान पर पूरे भवन का नवनिर्माण करवाने में पीछे मुड़कर नहीं देखा। हर समय कुछ करने का जज्बा लेकर कार्य करने वाले पूनिया ने अपने पेशे के प्रति ईमानदारी,समर्पण व कर्त्तव्यपरायणता से समुदाय से प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग प्राप्त किया। और विद्यालय में एक कुशल टीम के कप्तान व लीडर के रूप में अमिट छाप छोड़ी। उनका सभी के साथ मैत्री पूर्ण व्यवहार कुशलता उन्हें औरों से अलग करती है। 

विद्यालय को सामुदायिक सहभागिता ग्राम शिक्षा समिति से बनाया यूनिक मॉडल

विद्यालय में 6 जनवरी 2021 को प्रधानाचार्य पद पर कार्यभार ग्रहण किया।तब विद्यालय का परिसर सड़क मार्ग से करीब 4 फीट गहरा था वर्षा ऋतु में गॉंव का पानी विद्यालय परिसर में भर जाता था। इससे पूर्व इसी विद्यालय को 1960 के दशक में गॉंव के भामाशाहों द्वारा ही बनाया गया था जो जर्जर व अनुपयोगी हो चुका था। घग्घर बेसिन में स्थित होने के कारण समृद्ध गॉंव है क्योंकि 1960 में गांव के लोगों ने जनसहयोग से इस विद्यालय के पूरे भवन का निर्माण करवाया था। इसी बात को ध्यान में रखते हुए प्रधानाचार्य ने "मेरा स्कूल, गांव का अभिमान" को मिशन बनाकर आगे बढ़ाते हुए 6 फरवरी 2021 को विद्यालय विकास हेतु सामुदायिक सहभागिता के लिए बैठक बुलाई। जिसमें वर्तमान पीढी को उनके पूर्वजों के योगदान के इतिहास को बताते हुए वर्तमान आवश्यकता व भावी योजना का मास्टर प्लान सांझा किया।जिससे परिणामस्वरूप ग्राम शिक्षा समिति का गठन कर समिति के निर्देशन में 10 भामाशाह परिवारों ने व्यक्तिगत 10 कक्षा कक्ष के निर्माण का जिम्मा उठाया व अन्य ने  प्रति बीघा 500 रु  की दर से चंदा इकट्ठा करके विद्यालय भवन बनाने का निर्णय लिया गया। उस निर्णय के बाद उठाया गया हर कदम एक मिशाल बन गया। और पूरे परिसर में मिट्टी भर्ती, भव्य सुसज्जित भवन निर्माण, मूलभूत सुविधाओं से युक्त, सीसीटीवी, शीतल पेयजल हेतु वाटर चिलिंग प्लांट युक्त जलघर, चारदीवारी, बॉलीवॉल का डे-नाइट खेल मैदान, वर्षा जल संचयन हेतु दो टैंक, ओपन जिम, वॉकिंग पथ सहित पौधारोपण  कार्य, द्वार पर मां सरस्वती की प्रतिमा की स्थापना, भामाशाहों  की पट्टिका, लोगों की सकारात्मकता व सामुदायिक भावना को प्रस्तुत करता है। जो आने वाली पीढ़ी को गौरवान्वित करेगा।  जिसका लोकार्पण हनुमानगढ़ जिला कलेक्टर श्री कानाराम व एसपी श्री अरशद अली द्वारा 11 जनवरी 2025 को किया गया।

"विद्यालय केवल एक अध्ययन का केन्द्र नहीं बल्कि एक जीवन निर्माण का केन्द्र बनाना है": विनोद पूनियां  

जैसा कि पूनिया ने ई मानस को बताया

किसी भी मनुष्य के जीवन में सबसे ज्यादा मायने रखता है वह है संस्कार, मेरे जीवन में संस्कार जो मुझे मेरे परिवार से मिले है वे मेरे लिए अमूल्य है जो मुझे गति प्रदान करते है। हर समय मेरा मार्गदर्शन है। गांव किशनपुरा उत्तराधा के एक मध्यमवर्गीय किसान पिता स्वर्गीय गोपीराम, माता शरवती देवी के संस्कारों में पले बढ़े, जिन्होंने मुझे शिक्षा का महत्व बताया।  03 जुलाई 1999 को मेरी प्रथम नियुक्ति तृतीय श्रेणी एक सरकारी शिक्षक के रूप में एक पिछड़े और संसाधन हीन क्षेत्र में हुई जहॉं शिक्षक कार्य चुनौतियों से भरा हुआ लेकिन मैने कभी हार नहीं मानी। अध्यापक सेवा में प्रवेश से लेकर वर्तमान तक जिन विद्यालयों में वहॉं छात्र-छात्राओं को ईश्वर का स्वरूप मानकर  समाज व शिक्षकों से प्राप्त ज्ञान को अगली पीढ़ी में स्थापित करने हेतु प्रयासरत रहा हू। जब से संस्था प्रधान के रूप में नेतृत्व मिला तब से विद्यालय व छात्र-छात्राओं के बहुमुखी विकास हेतु समाज सरकार से संवाद स्थापित कर हर उस कमजोर पहलु को दुरस्त कर बच्चों व संस्था का हित मेरी प्रथम ड्यूटी रही है। मेरे 26 वर्ष के सेवाकाल में सभी विद्यालयों में आधारभूत सुविधाओं हेतु मैने इस प्रकार के अनेक प्रयास किये जिससे विद्यालय में आधारभूत सुविधाओं की पूर्ति और शिक्षण का वातावरण का निर्माण हो। मेरा मिशन रहा है कि विद्यालय को केवल एक अध्ययन का केन्द्र नहीं बल्कि एक जीवन निर्माण केन्द्र बनाना है। जहॉं हर विद्यार्थी अपने कौशल मूल्यों और सपनों को साकार कर सके। 




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