पशुओं को गर्मी एवं तापघात से बचाने के लिए जारी की एडवाइजरी
गर्मी और तापघात से पशुधन की सुरक्षा हेतु पशुपालकों को सावधानी बरतने की सलाह
हनुमानगढ़। ग्रीष्म ऋतु में तापमान में निरंतर वृद्धि एवं तीव्र गर्मी के साथ लू के प्रभाव के कारण प्रदेश में पशुधन के स्वास्थ्य एवं उत्पादन क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका है। अत्यधिक गर्मी, डिहाइड्रेशन, तापघात, बुखार, दस्त, गर्भपात आदि बीमारियों से पशुधन की हानि हो सकती है। इसके अतिरिक्त, असामयिक वर्षा और ओलावृष्टि के कारण वातावरण में आए उतार-चढ़ाव से पशुओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी प्रभावित हो सकती है, जिससे विभिन्न संक्रामक रोगों का खतरा बढ़ जाता है। पशुपालन संयुक्त निदेशक डॉ. हरीश चन्द्र गुप्ता ने बताया कि इन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए पशुपालन विभाग द्वारा पशुपालकों एवं गौशालाओं को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं, जिससे पशुओं को स्वस्थ एवं सुरक्षित रखा जा सके।
पशुओं को गर्मी एवं तापघात से बचाने के लिए एडवाइजरी
1. पशुओं को प्रातः 9:00 बजे से सायं 6:00 बजे तक छायादार स्थानों या पशुबाड़ों में रखा जाए। विशेषकर संकर नस्ल के एवं अधिक दुग्ध उत्पादन वाले पशुओं के बाड़ों में खिड़कियों और दरवाजों पर तिरपाल/टाटी लगाकर दोपहर में पानी का छिड़काव करें। भैंस जाति के पशुओं को शाम के समय नहलाना लाभदायक होगा।
2. दिन में कम से कम चार बार ठंडा, शुद्ध एवं पर्याप्त मात्रा में पेयजल उपलब्ध कराएं।
3. सूखे चारे के साथ कुछ मात्रा में हरा चारा अवश्य दें, जिससे पाचन संबंधी समस्याएं जैसे कब्ज आदि से बचाव हो सके।
4. भारवाहक पशुओं को यथासंभव केवल प्रातः एवं सायंकालीन समय में ही कार्य में लिया जाए।
5. तापघात की स्थिति में पशु को तुरंत छायादार स्थान पर ले जाकर उसके शरीर पर ठंडा पानी डालें, सिर पर ठंडे पानी में भीगा कपड़ा रखें और तुरंत पशु चिकित्सक से उपचार कराएं।
6. गौशाला संचालकों से आग्रह है कि वे गौवंश के लिए पर्याप्त छाया की व्यवस्था करें एवं शेड्स को गर्म हवाओं से बचाने हेतु तिरपाल या टाट से ढकें।
7. गौशालाओं में संभावित आगजनी की घटनाओं से सुरक्षा के लिए समुचित प्रबंध किए जाएं।