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निर्वाचन प्रणाली को स्वच्छ बनाने की कवायद शुरू

निर्वाचन प्रणाली को स्वच्छ बनाने की प्रक्रिया जारी

पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को सूची से हटाने की कार्यवाही शुरू

हनुमानगढ़। देश में राजनीतिक दल (राष्ट्रीय/राज्य/पंजीकृत अप्रमाणित) जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29। के प्रावधानों के अंतर्गत भारत निर्वाचन आयोग के साथ पंजीकृत होते हैं। इस अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, एक बार किसी संगठन का राजनीतिक दल के रूप में पंजीकरण हो जाने पर उसे चुनाव चिन्ह, कर छूट जैसी कुछ विशेष सुविधाएं और लाभ प्राप्त होते हैं। 

राजनीतिक दलों के पंजीकरण के लिए दिशा-निर्देश में उल्लेख है कि यदि कोई दल लगातार 6 वर्षों तक चुनाव नहीं लड़ता है, तो उसे पंजीकृत दलों की सूची से हटा दिया जाएगा। निर्वाचन प्रणाली को साफ-सुथरा बनाने की व्यापक और सतत रणनीति के तहत निर्वाचन आयोग 2019 से ऐसे पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (आरयूपीपीएस) की पहचान और सूची से हटाने का राष्ट्रव्यापी अभियान चला रहा है, जिन्होंने लगातार 6 वर्षों में एक भी चुनाव नहीं लड़ा है।

इस अभियान के पहले चरण में, 9 अगस्त 2025 को निर्वाचन आयोग ने 334 आरयूपीपीएस को सूची से हटा दिया था, जिससे सूचीबद्ध आरयूपीपीएस की संख्या 2854 से घटकर 2520 रह गई। इस चरण में राजस्थान से 9 आरयूपीपीएस को हटाया गया था। इस अभियान के दूसरे चरण के तहत, देशभर के विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से 476 और की पहचान की गई है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि किसी दल को अनुचित रूप से सूची से न हटाया जाए, संबंधित राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को इन आरयूपीपीएस को कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके बाद संबंधित सीईओ द्वारा इन दलों को सुनवाई का अवसर दिया जाएगा।

राज्य मुख्य निर्वाचन अधिकारियों की रिपोर्ट के आधार पर किसी भी आरयूपीपीएस को सूची से हटाने का अंतिम निर्णय भारत निर्वाचन आयोग द्वारा लिया जाएगा। राजस्थान के 18 सहित देश भर के कुल 476 पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों की डीलिस्टिंग की कार्यवाही शुरू होनी है।

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