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मानस अभियान: नशे से दूरी, खेल जरूरी

मानस जिला स्तरीय खेल प्रतियोगिता

"खेलेंगे हम, जीतेंगे हम, पर नशे से दूर रहेंगे हम"*

आरजी स्टेडियम बना परंपरा और प्रेरणा का संगम, पारंपरिक खेलों से नशा मुक्ति का संदेश

प्रतियोगिता में 40 टीमों के 290 खिलाड़ियों ने दिखाया दमखम, सरपंच बनाम पार्षद मैच बना आकर्षण का केंद्र



हनुमानगढ़। जहाँ मोबाइल और वीडियो गेम्स ने गांव की चौपाल और गलियों के खेल छीन लिए हैं, वहीं शनिवार को जंक्शन स्थित राजीव गांधी स्टेडियम में एक बार फिर "बचपन की खुशबू", "गांव की मिट्टी" और "खेलों का जुनून" लौट आया। मानस अभियान के सातवें संस्करण के तहत आयोजित जिला स्तरीय नशा मुक्त पारंपरिक खेल प्रतियोगिता में रस्साकशी, सितोलिया और रूमाल झपट्टा जैसे खेलों के जरिए सांस्कृतिक विरासत और सामाजिक चेतना का अद्भुत संगम हुआ। 16-17 मई को ब्लॉक स्तर पर चयन के बाद शनिवार को आयोजित फाइनल मुकाबलों में पूरे जिले से आईं 40 टीमों के 290 महिला-पुरुष खिलाड़ियों ने जोश के साथ भाग लिया। रस्साकशी में जब एक ओर सरपंचों की टीम थी और दूसरी ओर पार्षदों की तो माहौल तालियों और उत्साह से भर उठा। इस रोमांचक मैच में सरपंच टीम विजेता रही, पर असली जीत सामूहिक सहभागिता और नशे के खिलाफ एकजुटता की हुई।




नशे से दूरी, खेल जरूरी - जिला कलेक्टर



जिला कलेक्टर काना राम ने मानस खेल प्रतियोगिता समापन के अवसर पर सभी को नशा मुक्ति की शपथ दिलाई। जिला कलेक्टर ने कहा कि मानस अभियान को एक वर्ष पूर्ण होने को है। पिछले वर्ष स्वीकृत 62 खेल मैदानों में से 55 के कार्य पूर्ण हो चुके है। इस वर्ष 121 ग्राम पंचायतों में ओपन जीम और खेल मैदानों के संसाधनों का आंकलन किया गया है, आवश्यक कार्यों को स्वीकृत किया जाएगा। जिला कलेक्टर ने कहा कि इस अभियान के शुरुआत से ही टैगलाइन रही है - नशे से दूरी, खेल जरूरी। खेल प्रतियोगिताओं में 12 हजार से अधिक खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया है। आज ये खेल सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि एक आंदोलन हैं। जिला कलेक्टर ने कहा कि इस आयोजन का संदेश साफ है- नशे से तौबा और परंपरा से जुड़ाव ही सच्चा खेल है। जब गांव- शहर, खेल और जागरूकता एक साथ आते हैं, तो सिर्फ खिलाड़ी नहीं, पूरा समाज जीतता है। पारंपरिक खेलों के माध्यम से हम युवा पीढ़ी को जड़ों से जोड़ते हुए नशे से दूर रखने का संकल्प दोहरा रहे हैं। खेल, परंपरा और सामाजिक उद्देश्य का प्रभाव दूरगामी होता है।

खेल से संस्कार, संस्कार से बदलाव

जिला परिषद सीईओ ओपी बिश्नोई ने प्रतियोगिता के सफल आयोजन पर सभी प्रतिभागियों, आयोजकों और सहयोगियों का आभार व्यक्त किया और कहा कि खेलों से समाज में सकारात्मक परिवर्तन संभव है। जब युवा खेल के मैदान से जुड़ते हैं, तो नशे से दूरी और जीवन में अनुशासन अपने आप आ जाता है। भाजपा जिलाध्यक्ष श्री प्रमोद डेलू ने इसे "संस्कृति और चेतना का महाकुंभ" बताया। श्री डेलू ने कहा कि इस प्रतियोगिता के माध्यम से मुख्यमंत्री की मंशानुरूप राजस्थान के पारंपरिक खेलों के रोमांच के साथ-साथ नशा मुक्ति का सशक्त संदेश भी गूंजा है।

भामाशाहों की भागीदारी बनी प्रेरणा का स्रोत

मानस खेल गतिविधियों का संपूर्ण वित्तीय दायित्व भामाशाहों के कंधों पर रहा है। इसी जिम्मेदारी को इस महीने निर्वहन किया भामाशाह श्री हरबंश लाल गोयल ने। उन्होंने विजेता टीमों को 4100 रुपए और उपविजेता टीमों को 2100 रुपए का प्रोत्साहन, भोजन व्यवस्था सहित सभी व्यवस्थाओं का बीड़ा उठाया। सरस डेयरी की तरफ से छाछ और लस्सी ने गर्मी से राहत दिलाई और प्रतियोगिता में पारंपरिक स्वाद जोड़ा।






समापन पर तालियों की गूंज और परंपरा की पुनर्प्रतिष्ठा

समापन पर द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता आर.डी. सिंह, जनप्रतिनिधि  प्रमोद डेलू, जिला परिषद सीईओ ओपी बिश्नोई, नगर परिषद आयुक्त  सुरेंद्र यादव, सीडीईओ पन्नालाल कड़ेला, जिला खेल अधिकारी  शमशेर सिंह, जनप्रतिनिधि श्री विकास गुप्ता, राज्य कर अधिकारी नितिन चुघ और कई गणमान्य अतिथि, खिलाड़ी मौजूद रहे। 



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