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कर्मभूमि से मातृभूमि अभियान, जल संकट से दिलाएगा राहत

भूजल स्तर में वृद्धि और जलभराव से राहत की दिशा में बड़ा कदम

'कर्मभूमि से मातृभूमि' अभियान की जिला स्तरीय समिति की बैठक, जिले में वर्षा से पहले 125 रिचार्ज स्ट्रक्चर बनेंगे

हनुमानगढ़। ग्रामीण राजस्थान में गिरते भूजल स्तर और जलभराव की समस्या को दूर करने के लिए राज्य सरकार ने एक महत्त्वाकांक्षी अभियान ‘कर्मभूमि से मातृभूमि’ की शुरुआत की है। इस अभियान के तहत वर्ष 2024-25 में प्रदेश की सभी ग्राम पंचायतों में 45 हजार रेन वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर (फिल्टरयुक्त रिचार्ज कुएं) बनाए जाएंगे।कर्मभूमि से मातृभूमि अभियान को लेकर सोमवार को जिला कलेक्ट्रेट में जिला स्तरीय समिति की बैठक आयोजित की गई। बैठक में जिला कलेक्टर श्री काना राम ने योजना को जल संरक्षण की दिशा में क्रांतिकारी पहल बताते हुए कहा कि इससे जलभराव की वर्षों पुरानी समस्या का स्थायी समाधान निकलेगा।

प्रत्येक ग्राम पंचायत में 4 रिचार्ज संरचनाए

जिला कलेक्टर ने बताया कि जिले कि प्रत्येक ग्राम पंचायत में 4 रिचार्ज शाफ्ट/संरचनाए बनाई जाएगी। इनमें दो ऐसे स्थानों का चयन किया जाएगा, जहां अकार्यशील बोरवेल, ट्यूबवेल या हैंडपंप मौजूद हैं। वहीं शेष दो स्थान ऐसे होंगे, जहां प्राकृतिक रूप से वर्षा जल एकत्रित होता है।

2025-26 का लक्ष्य और सीएसआर से सहयोग

जिला कलेक्टर ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2025-26 में राज्य भर में 5 हजार रिचार्ज संरचनाए सीएसआर फंड के माध्यम से बनाई जाएगी। जिले में वर्षा से पूर्व कम से कम 125 संरचनाए भामाशाहों, प्रवासी राजस्थानियों, कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी और क्राउड फंडिंग के सहयोग से विकसित की जाएगी।

योजना के मुख्य उद्देश्य

इस अभियान का उद्देश्य जल संरक्षण और संचयन के प्रति जन जागरूकता बढ़ाना, वर्षा जल संचयन को बढ़ावा देकर जल संकट से निपटना, भूजल पुनर्भरण के लिए अकार्यशील हैंडपंप, सूखे कुएं व नलकूपों का उपयोग, सतही व वर्षा जल के सदुपयोग के लिए रिचार्ज शाफ्ट का निर्माण, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करना, जल उपयोग की दक्षता बढ़ाना और जनभागीदारी सुनिश्चित करना है।

अभियान से होने वाले लाभ

अभियान से भूजल स्तर में स्थिरता और वृद्धि, मृदा अपरदन में कमी, बाढ़ व सूखे के खतरे में कमी, वर्षा जल की प्रत्येक बूंद का संरक्षण, भविष्य के लिए जल की उपलब्धता सुनिश्चित, लोगों के जल उपयोग व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तन होगा। यह अभियान न केवल वर्तमान जल संकट से राहत दिलाएगा, बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए जल सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।


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