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चकबंदी क्षेत्र की समस्याओं के समाधान के लिए राजस्व विभाग की टीम पहुंची हनुमानगढ़

गिरदावरी का फील्ड सर्वे : चकबंदी क्षेत्र की समस्याओं के समाधान के लिए हनुमानगढ़ पहुंची राजस्व विभाग की टीम

38 एनजीसी, 8 एमडी और 8 एनजीसी में किया दौरा, पटवारियों एवं किसानों से संवाद कर जुटाई जमीनी जानकारी



हनुमानगढ़। खरीफ फसल संवत् 2082 की गिरदावरी प्रक्रिया में चकबंदी क्षेत्र से आ रही समस्याओं के समाधान के लिए राजस्व विभाग अजमेर की उच्च स्तरीय टीम गुरुवार को हनुमानगढ़ पहुंची। टीम ने चक 38 एनजीसी, 8 एमडी और 8 एनजीसी में भ्रमण कर फील्ड सर्वे किया और किसानों, राजस्व अधिकारियों एवं स्थानीय जनप्रतिनिधियों से संवाद कर समस्याओं की जानकारी ली।

टीम का नेतृत्व राजस्व मंडल राजस्थान के अतिरिक्त निबंधक श्री हेमंत स्वरूप माथुर ने किया। इस दौरान हनुमानगढ़ के उपखंड अधिकारी श्री मांगीलाल, रायसिंहनगर के एसडीएम श्री सुभाष कड़वासरा, तहसीलदार श्री हरीश सारण, श्रीकरणपुर तहसीलदार, जिला पटवार संघ अध्यक्ष श्री अमर सिंह, पटवारीगण एवं बड़ी संख्या में किसान मौजूद रहे।

अतिरिक्त निबंधक श्री माथुर ने मीडिया से बातचीत में बताया कि डिजिटल क्रॉप सर्वे एक अगस्त से शुरू हो चुका है, जो 15 अक्टूबर 2025 तक चलेगा। श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ और बीकानेर जैसे जिलों में चकबंदी प्रणाली होने के कारण गिरदावरी प्रक्रिया में व्यावहारिक दिक्कतें सामने आ रही थी। जबकि राजस्थान के अन्य जिलों में खसरा आधारित व्यवस्था लागू है, जिससे वहां प्रक्रिया अधिक सरल है।

उन्होंने बताया कि पूर्व में भी राजस्व विभाग द्वारा इन तीनों जिलों में दो-तीन बार जमीनी अध्ययन किया गया था, लेकिन समाधान नहीं निकल पाया। इसलिए इस बार टीम खुद फील्ड में जाकर समस्याओं को समझने का प्रयास कर रही है, ताकि व्यवहारिक समाधान तैयार किया जा सके। प्राप्त तथ्यों के आधार पर रिपोर्ट तैयार कर उच्च स्तर पर प्रस्तुत की जाएगी।



श्री माथुर ने यह भी कहा कि इस बार लगभग एक करोड़ खसरों की गिरदावरी होनी है। पिछले छह-सात दिनों में करीब 25 से 30 हजार किसानों द्वारा स्वयं डिजिटल गिरदावरी की जा चुकी है। इस बार किसानों का रुझान बेहतर है और संख्या में रिकॉर्ड वृद्धि की उम्मीद की जा रही है।

किसानों के लिए एक सरल मोबाइल एप्लिकेशन तैयार किया गया है, जिसमें ओटीपी के माध्यम से लॉगिन कर किसान स्वयं अपनी गिरदावरी दर्ज कर सकते हैं। ऐप की जटिलताओं को दूर किया गया है, जिससे अब किसान तकनीकी रूप से भी अधिक सक्षम हो पाएंगे। मीडिया प्रतिनिधियों से बातचीत के दौरान एक सवाल के जवाब में श्री माथुर ने बताया कि गत दिनों वर्षा से खराब हुई फसलों के लिए मुआवजा निर्धारित करने की व्यवस्था है। जिला कलक्टर के माध्यम से सरकार तक प्रस्ताव भेजा जाता है और फसल खराबे का प्रतिशत तय कर राहत राशि आवंटित की जाती है।



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