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कृषक-वैज्ञानिक संवाद में किसान नवाचारों से हुए लाभान्वित

आत्मा परियोजना के तहत कृषक-वैज्ञानिक संवाद 

किसानों को मिला नवाचारों का ज्ञान

हनुमानगढ़। आत्मा परियोजना के अंतर्गत बुधवार को हनुमानगढ़ आत्मा परियोजना कार्यालय के कॉन्फ्रेंस हॉल में एक दिवसीय कृषक-वैज्ञानिक संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में जिले के लगभग 60 प्रगतिशील किसानों ने भाग लिया। कार्यक्रम का शुभारम्भ उपनिदेशक कृषि एवं पदेन परियोजना निदेशक आत्मा श्री सुभाष चन्द्र डूडी ने किसानों का स्वागत करते हुए किया। उन्होंने आत्मा परियोजना की उपयोगिता पर विस्तृत जानकारी दी और कहा कि ऐसे संवाद किसानों को नई तकनीक एवं वैज्ञानिक जानकारी से जोड़ने का सशक्त माध्यम हैं।

इस अवसर पर कृषि अनुसंधान केन्द्र श्रीगंगानगर के क्षेत्रीय अनुसंधान निदेशक डॉ. ए.के. शर्मा ने किसानों से सीधे संवाद कर कृषि क्षेत्र में हो रहे नवाचारों और बदलते तकनीकी परिदृश्यों से किसानों को अवगत कराया। केवीके संगरिया के विषय विशेषज्ञ (शस्य) डॉ. चन्द्रशेखर शर्मा ने फसल अवशेष प्रबंधन एवं खरीफ व रबी फसलों में उर्वरकों के संतुलित उपयोग पर विस्तृत जानकारी दी। वहीं विषय विशेषज्ञ (पौध संरक्षण) डॉ. उमेश कुमार ने खरीफ फसलों विशेषकर बीटी कपास में कीट एवं व्याधि प्रबंधन की प्रभावी तकनीकों पर प्रकाश डाला।

मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला के सहायक कृषि अनुसंधान अधिकारी श्री अभिषेक गोदारा ने मृदा स्वास्थ्य कार्ड की महत्ता बताते हुए पौधों में पोषक तत्वों के संतुलित प्रबंधन के तरीके साझा किए। उद्यान उपनिदेशक डॉ. रमेश चन्द्र बराला एवं सहायक निदेशक श्री साहबराम गोदारा ने किसानों से संवाद कर शस्य फसलों के साथ उद्यानिकी फसलों को अपनाने पर बल दिया और कहा कि फसल विविधीकरण से किसान अतिरिक्त आय अर्जित कर सकते हैं।

इसी क्रम में कृषि अनुसंधान केन्द्र, श्रीगंगानगर के वैज्ञानिक डॉ. हरजिन्द्र सिंह ने बीटी कपास में रसचूसक कीट एवं गुलाबी सुंडी नियंत्रण पर प्रभावी जानकारी दी। कृषि अनुसंधान अधिकारी डॉ. अनिल कुमार ने खरीफ फसलों में की जाने वाली समसामयिक कृषि क्रियाओं की जानकारी प्रदान की। वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजवीर सिंह ने किसानों को पशुपालन का वैज्ञानिक प्रबंधन तथा पशुपालन विभाग की योजनाओं के बारे में विस्तार से बताया।

आत्मा परियोजना के उप परियोजना निदेशक श्री करणजीत सिंह एवं वरिष्ठ कृषि पर्यवेक्षक श्री रामलाल गोदारा ने किसानों को प्राकृतिक खेती एवं जलवायु अनुकूल खेती के महत्व से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि बदलते मौसम और जलवायु परिस्थितियों को देखते हुए टिकाऊ खेती की दिशा में प्रयास करना समय की मांग है। कार्यक्रम में एग्री केयर ड्रोन सर्विस, हनुमानगढ़ द्वारा ड्रोन का सजीव प्रदर्शन किया गया। इसमें किसानों को बताया गया कि किस प्रकार ड्रोन की सहायता से खेतों में उर्वरक एवं कीटनाशी का प्रभावी और समान रूप से छिड़काव किया जा सकता है। इस अवसर पर संयुक्त निदेशक कृषि डॉ. प्रमोद कुमार यादव, सहायक निदेशक कृषि मुख्यालय श्री बलकरण सिंह एवं सहायक कृषि अधिकारी (उद्यान) डॉ. विपिन भादू भी उपस्थित रहे।


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