विश्व रेबीज दिवस पर लाल चौक स्थित जिला चिकित्सालय में कार्यशाला का आयोजन
पालतू जानवरों का टीकाकरण अवश्य करवाएं : डॉ. नवनीत शर्मा
संक्रमित जानवरों के काटने या खरोचने से फैलता है रेबीज : डॉ. अखिलेश शर्मा
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हनुमानगढ़। राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम के तहत 28 सितम्बर से 4 अक्टूबर तक वल्र्ड रेबीज जागरुकता सप्ताह आयोजित किया जा रहा है, जिसके अंतर्गत जिले में कार्यशाला, प्रतियोगिताएं, रैलियों सहित अन्य प्रचार-प्रसार कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। इसी के तहत रविवार 28 सितम्बर को विश्व रेबीज दिवस पर हनुमानगढ़ जंक्शन में लाल चौक के नजदीक स्थित कैनाल कॉलोनी जिला चिकित्सालय में सीएमएचओ डॉ. नवनीत शर्मा के निर्देशन में डिप्टी सीएमएचओ डॉ. अखिलेश शर्मा ने आमजन को रेबीज से बचाव एवं उससे होने वाली बीमारियों के बारे में जानकारी दी।
कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए सीएमएचओ डॉ. नवनीत शर्मा ने बताया कि राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम के तहत हर साल 28 सितम्बर को विश्व रेबीज दिवस मनाया जाता है। इस दिन वैज्ञानिक लुई पाश्चर की पुण्यतिथि है, जिन्होंने रेबीज की पहली वैक्सीन विकसित की थी, जिससे लाखों लोगों की जान बचाई जा रही है। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम के तहत जिले में 28 सितम्बर से 4 अक्टूबर तक विभिन्न कार्यक्रमों, कार्यशालाओं, प्रतियोगिताओं आदि का आयोजन किया जाएगा, जिसमें आमजन को रेबीज से होने वाली बीमारियों एवं उपचार के बारे में जानकारी दी जाएगी। उन्होंने बताया कि 2025 में 'एक्ट नॉऊ : यू, मी कम्युनिटी की थीम पर कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस दिन का मुख्य उद्देश्य आमजन को रेबीज के खतरों, इसके बचाव के तरीकों और पालतू जानवरों को टीका लगवाने के महत्व के बारे में शिक्षित करना है।
विश्व रेबीज दिवस पर कैनाल कॉलोनी जिला चिकित्सालय में आयोजित कार्यशाला में आमजन को सम्बोधित करते हुए डिप्टी सीएमएचओ डॉ. अखिलेश शर्मा ने कहा कि रेबीज एक ऐसी बीमारी है जो पूरी तरह से रोकी जा सकती है, लेकिन यह आज भी दुनिया के कई हिस्सों में हर साल हजारों लोगों की जान ले लेती है। यह बीमारी आमतौर पर संक्रमित जानवरों जैसे कुत्ते, बिल्ली, बंदर और जंगली जानवरों के काटने या खरोंचने से फैलती है। डॉ. अखिलेश शर्मा ने कहा कि जानवर के काटने के बाद सबसे पहले घबराएं नहीं और शांत होकर घाव को चेक करें। घाव को कम से कम 15 से 20 मिनट तक बहते हुए पानी और साबुन से अच्छी तरह धोएं। घाव को रगड़ें नहीं, बल्कि हल्के हाथों से बहते पानी के नीचे धोएं। इससे लार और गंदगी निकल जाएगी और इन्फेक्शन का खतरा कम होगा। इसके बाद अपने नजदीकी अस्पताल जाकर डॉक्टर को दिखाएं एवं उनके कहे अनुसार उपचार लें। कार्यशाला में सीएचसी इंचार्ज डॉ. इन्द्रसेन झाझड़ा, डॉ. एमएस बेनीवाल सहित चिकित्साकर्मी एवं आमजन उपस्थित रहे।
इन बातों का रखें खास ध्यान
रेबीज का खतरा :
टिटनेस का खतरा :
गहरे घावों में टिटनेस के बैक्टीरिया के फैलने का खतरा रहता है। डॉक्टर से टिटनेस का इंजेक्शन लगवाने की सलाह लें।
कुत्ते पर नजर रखें :
अगर कुत्ता पालतू और पहचान का है, तो उस पर 10-15 दिनों तक नजर रखें। अगर उसमें कोई अजीब व्यवहार (जैसे पानी से डरना, ज्यादा लार आना, आक्रामक होना) दिखे या वह मर जाए, तो तुरंत डॉक्टर को सूचित करें। इससे रेबीज का पता लगाने में मदद मिलती है।
घरेलू नुस्खों से बचें :
घाव पर हल्दी, मिट्टी, या कोई भी अन्य चीज न लगाएं। इससे इन्फेक्शन बढ़ सकता है।
कुत्ते की रिपोर्ट करें :
अगर कुत्ता आवारा और आक्रामक है, तो उसकी सूचना स्थानीय प्रशासन को दें, ताकि दूसरे लोगों को उससे खतरा न हो।


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