विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस- 10 सितंबर
शिक्षण संस्थानों में होंगे आउटरीच सत्र एवं आईईसी गतिविधियां
10 सितंबर से 10 अक्टूबर तक होंगी विभिन्न जागरूकता गतिविधिया
जयपुर। मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा की पहल और चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह खींवसर के निर्देशन में प्रदेश में स्वास्थ्य संवर्धन की दिशा में प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं। बीमारियों से बचाव एवं स्वस्थ जीवन शैली अपनाने के लिए आमजन को जागरूक किया जा रहा है। इसी क्रम में 'विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस' के अवसर पर 10 सितम्बर से 10 अक्टूबर तक शिक्षण संस्थानों यथा स्कूलों, कॉलेजों एवं कोचिंग संस्थानों में आउटरीच कैंप एवं आईईसी गतिविधियां आयोजित की जाएंगी।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख शासन सचिव श्रीमती गायत्री राठौड़ ने बताया कि युवाओं में विशेष रूप से विद्यार्थियों के बीच आत्महत्या की घटनाएं होना चिंताजनक हैं। विभाग द्वारा राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य इकाई के माध्यम से सभी जिलों में स्थानीय प्रशासन के सहयोग से किशोर-किशोरियों के लिए परामर्श- चर्चा सत्रों का आयोजन किया जाता है। इसी क्रम में 10 सितंबर से आगामी एक माह तक "आत्महत्या के प्रति धारणा में बदलाव कार्यवाही हेतु आह्वान - 'बातचीत की शुरुआत करें" की थीम पर शिक्षण संस्थानों में परामर्श सत्रों के साथ जन-जागरुकता अभियान संचालित किया जाएगा। इसके लिए सभी मेडिकल कॉलेजों के प्रधानाचार्य एवं नियंत्रक, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों, प्रमुख चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं। विभाग द्वारा तत्काल परामर्श सेवाओं के लिए प्रभावी रूप से टोल फ्री हैल्पलाइन सेवा 14416 या 188-89-14416 का संचालन किया जा रहा है।
मिशन निदेशक एनएचएम डॉ. अमित यादव ने बताया कि आत्महत्या एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है, जिसके दूरगामी सामाजिक, आर्थिक एवं भावनात्मक असर पड़ते हैं। शैक्षणिक संस्थानों में बच्चों, किशोरों एवं युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य एवं कल्याण हेतु सकारात्मक संवाद और सहयोगात्मक वातावरण निर्मित करना बेहद आवश्यक है। उन्होंने बताया कि इस विषय पर जन-जागरूकता बढाने एवं रोकथाम को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 10 सितंबर को 'विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस' पर गतिविधियां आयोजित की जाती हैं। उन्होंने बताया कि जिलों में संचालित मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम सभी जिलों में आउटरीच सत्र एवं आईईसी गतिविधियां आयोजित करने के निर्देश दिए गए हैं।
मिशन निदेशक ने बताया कि इन सत्रों का उद्देश्य विद्यार्थियों को यह अवसर प्रदान करना है कि वे अपने शिक्षकों एवं प्रशिक्षकों से पढ़ाई, करियर और अन्य व्यक्तिगत समस्याओं पर खुले मन से संवाद स्थापित कर सकें। उन्होंने बताया कि जागरुकता सत्रों के आयोजन संबंधी गतिविधियों के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु संबंधित विद्यालयों, महाविद्यालयों एवं कोचिंग संस्थानों को समय रहते सूचित करने के साथ ही संपादित की गयी गतिविधियों की विस्तृत रिपोर्ट राज्य स्तर भेजने के भी निर्देश दिए गए हैं।
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