जीवन का एक ही ध्येय: रक्तदान महादान, 108 बार रक्तदान कर चुके हैं बल्ड मैंन अमरसिंह नायक
'मानद डॉक्टरेट' का मिली उपाधि, टिब्बी में पहुंचने पर किया भव्य स्वागत
हनुमानगढ़(टिब्बी)। जिले की टिब्बी तहसील के गांव श्योदानपुरा के अमर सिंह नायक को पुदुचेरी में आयोजित समारोह में मानद डॉक्टरेट की उपाधि मिलने के बाद रविवार शाम टिब्बी में पहुंचने पर भव्य स्वागत किया। अमर सिंह को ब्लड मैन ऑफ इंडिया के नाम से भी जाना जाता है। ग्लोबल ह्यूमन पीस यूनिवर्सिटी (डेलावेयर स्टेट, यूएसए) ने सामाजिक कार्य में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए यह सम्मान दिया है । अमर सिंह को मानद डॉक्टरेट की उपाधि मिलने से क्षेत्र में खुशी की लहर है। लोगों का कहना है कि पहली बार एक साधारण खेतीहर मजदूर जिन्होंने के रक्तदान को जिंदगी का मक़सद बनाया। अमर सिंह लोगों को न केवल लोगों को रक्तदान के प्रति जागरूक करते हुए बल्कि खुद रक्तदान करते हैं और अनेकों शिविर आयोजित कर लोगों को रक्तदान के लिए प्रेरित कर रहे हैं। उनकी प्रेरणा से हर युवा रक्तदान के लिए आगे आ रहे है।
बल्ड मैन को राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय स्तर पर मिल चुका है सम्मान
यूनिवर्सिटी के सीनेट और सलाहकार बोर्ड की समीक्षा के बाद यह निर्णय लिया गया था। ग्लोबल ह्यूमन पीस यूनिवर्सिटी के संस्थापक और अध्यक्ष डॉ. पी. मैनुअल ने अमर सिंह को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है। इससे श्योदानपुरा सहित पूरे क्षेत्र में खुशी की लहर है। उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से भी नवाजा जा चुका है। जिसमें श्रीलंका में मिला एक सम्मान भी शामिल है। अमर सिंह को इंडियन सोसाइटी ऑफ ब्लड ट्रांसफ्यूजन एंड इम्यूनोहेमेटोलॉजी (आईएसबीटीआई) द्वारा लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से भी नवाज़ा जा चुका है।
रक्तदान को जीवन का ध्येय बना चुके है
एक निरक्षर और खेतीहर मजदूर होने के बावजूद अमर सिंह नायक ने रक्तदान के क्षेत्र में एक अनूठी मिसाल कायम की है। उन्होंने 108 बार रक्तदान किया है, एक हजार से अधिक रक्तदान शिविरों के आयोजन में सहयोग वो भागीदारी रही है और 44 हजार किलोमीटर से अधिक साइकिल पर यात्रा कर लोगों को जागरूक किया है। उनमें रक्तदान के प्रति जुनून देखकर लगता है कि रक्तदान करना उनके जीवन का ध्येय बना चुका है। जहां भी रक्तदान शिविर आयोजित होता है वहां वे एक प्रेरक व रक्तदाता के रूप सक्रिय भागीदारी निभाते है। वहां लोगों में रक्तदान के प्रति लोगों को भ्रांतियों को भी दूर करते है।
चार दशक पूर्व सड़क हादसे ने रक्तदान की महत्ता से जीवन की बदली दिशा
'बल्ड मैन ऑफ इंडिया' के नाम से पहचान बना चुके आर सिंह ने बताया कि 1985 में एक सड़क हादसे के बाद रक्त की महत्ता समझ में आई। सिरसा के एक अस्पताल में घायल युवक को रक्त की आवश्यकता पड़ने पर उन्होंने पहली बार रक्तदान किया। उस युवक की जान बचने से उन्हें जो खुशी मिली, उसने उन्हें रक्तदान को अपने जीवन का मिशन बना लिया। जिसके बाद उन्होंने हर खुशी व ग़म के मौके पर लोगों, रिश्तेदारों, संबंधियों व परिचित से रक्तदान शिविरो के आयोजन कर को रक्तदान के लिए प्रेरित किया। खास बात ये भी है कि उन्होंने अपने बेटे की शादी में, अपनी माँ के निधन के बाद तीये की बैठक में उनकी याद में व अपनी 14 साल की भतीजी की मृत्यु के बाद नेत्रदान के लिए भी अपने परिवार को प्रेरित किया।


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