सरकारी चिकित्सा संस्थानों में नि:शुल्क लगाई जाती है रेबीज की वैक्सीन और सीरम : डॉ. अखिलेश शर्मा
राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम : राष्ट्रीय आर्युविज्ञान महाविद्यालय सहित शिक्षण संस्थानों में दी गई रेबीज की जानकारी
हनुमानगढ़। राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम के तहत गत 28 सितम्बर से 4 अक्टूबर तक वल्र्ड रेबीज जागरुकता सप्ताह आयोजित किया जा रहा है, जिसके अंतर्गत जिले में कार्यशालाएं, प्रतियोगिताएं, रैलियों सहित अन्य प्रचार-प्रसार कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। जिला कलक्टर डॉ. खुशाल यादव के निर्देशन में जिले के समस्त शिक्षण संस्थानों में शनिवार 4 अक्टूबर को समस्त छात्र-छात्राओं को जानवरों एवं रेबीज से होने वाली बीमारियों के बारे में जानकारी दी।
सीएमएचओ डॉ. नवनीत शर्मा ने बताया कि राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम के तहत जिले में 28 सितम्बर से 4 अक्टूबर तक विभिन्न कार्यक्रमों, कार्यशालाओं, प्रतियोगिताओं आदि का आयोजन किया जा रहा है। वर्ष 2025 में 'एक्ट नॉऊ : यू, मी कम्युनिटी की थीम पर कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि गत एक सप्ताह से मेडिकल ऑफिसर्स एवं चिकित्साकर्मी जिले के समस्त शिक्षण संस्थाओं में जाकर बच्चों को रेबीज की जानकारी दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिला स्तर के साथ-साथ समस्त खण्ड स्तर पर की शिक्षण संस्थानों पर रेबीज के बारे में स्वास्थ्य चर्चा की गई।
राष्ट्रीय आर्युविज्ञान महाविद्यालय (मेडिकल कालेज) में आयोजित कार्यशाला में डिप्टी सीएमएचओ डॉ. अखिलेश ने बताया कि रेबीज की बीमारी रेबीज वायरस के कारण होती है। रेबीज वायरस किसी संक्रमित जानवर के लार (थूक) में होता है, इसलिए इसके काटने, चाटने या नाखून लगने से यह दूसरे में चला जा सकता है। यह बीमारी आमतौर पर संक्रमित जानवरों जैसे कुत्ते, बिल्ली, बंदर और जंगली जानवरों के काटने या खरोंचने से फैलती है। रेबीज एक जानलेवा वायरल संक्रमण है जो इंसानों और जानवरों में मस्तिष्क और स्पाइनल कॉर्ड (एन्सेफेलाइटिस) में सूजन का कारण बनता है। डॉ. अखिलेश शर्मा ने कहा कि जानवर के काटने के बाद सबसे पहले घबराएं नहीं और शांत होकर घाव को चेक करें। घाव को कम से कम 15 से 20 मिनट तक बहते हुए पानी और साबुन से अच्छी तरह धोएं। घाव को रगड़ें नहीं, बल्कि हल्के हाथों से बहते पानी के नीचे धोएं। इससे लार और गंदगी निकल जाएगी और इन्फेक्शन का खतरा कम होगा। इसके बाद अपने नजदीकी अस्पताल जाकर डॉक्टर को दिखाएं एवं उनके कहे अनुसार उपचार लें। उन्होंने कहा कि रेबीज की वैक्सीन और सीरम सरकारी चिकित्सा संस्थानों में नि:शुल्क लगाई जाती है।



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