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राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर आयोजन

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की पुण्यतिथि "शहीद दिवस" पर जिला कलेक्ट्रेट परिसर में आयोजन,
"रघुपति राघव राजा राम, पतित पावन सीता राम" — गूंजी रामधुन

हनुमानगढ़। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की गुरुवार को पुण्यतिथि "शहीद दिवस" के अवसर पर गुरुवार को जिला एवं उपखंड स्तर पर कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। जिला मुख्यालय पर कलेक्ट्रेट परिसर में आयोजित जिला स्तरीय कार्यक्रम में जिला कलेक्टर काना राम, एडीएम उम्मेदी लाल मीना, सीईओ ओ.पी. बिश्नोई, हनुमानगढ़ एसडीएम मांगीलाल सहित सभी जिला स्तरीय अधिकारी उपस्थित थे। कार्यक्रम की शुरुआत कलेक्ट्रेट परिसर स्थित गांधी जी की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर हुई। कार्यक्रम में एनपीएस स्कूल की छात्राओं ने रामधुन का गान किया। जिला कलेक्टर काना राम ने कहा कि जन्म से ही हमने सुखों का अनुभव किया है, इसलिए हम कठिनाइयों को समझ या महसूस नहीं कर सकते। जब हम पैदा हुए, तभी से हमारे पास अस्पताल, स्कूल, संविधान और चुनी हुई सरकार थी। परंतु बुजुर्ग बताते हैं कि उनका जीवन संघर्षों से भरा हुआ था। हमें इतिहास को भूलना नहीं चाहिए, क्योंकि यदि हम इतिहास भूल गए, तो भविष्य का निर्माण नहीं कर पाएंगे। महात्मा गांधी जी ने हर भारतीय के दिल में स्वदेशी, स्वभाषा और स्वराज की भावना पैदा की। उनके विचार और आदर्श हर भारतीय को हमेशा राष्ट्र की सेवा करने के लिए प्रेरित करते रहेंगे। हमें गांधी जी के आदर्शों और मूल्यों को हमेशा आगे रखना होगा। मैं गांधी जी की तीन बातों से सर्वाधिक प्रभावित हूं। यदि गांधी जी ने यह सोचा होता कि "मैं अकेला क्यों करूं," तो हम आज यहां नहीं होते। हमें भी अपनी सेवाओं और दैनिक दिनचर्या में इस सोच को अपनाना चाहिए। गांधी जी ने अहिंसा का पालन करते हुए स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत असहयोग आंदोलन से की, जो सविनय अवज्ञा आंदोलन से होते हुए भारत छोड़ो आंदोलन तक पहुंचा। स्वतंत्रता संग्राम एक दिन का प्रयास नहीं था। कलेक्टर ने कहा कि हमारे कार्यों में आक्रामकता की आवश्यकता हो सकती है, परंतु मांगों को रखने का तरीका हमेशा लोकतांत्रिक होना चाहिए। साधन और साध्य की पवित्रता पर विशेष ध्यान देना चाहिए। यदि लक्ष्य प्राप्त करने का रास्ता पवित्र नहीं है, तो उस लक्ष्य को प्राप्त करने का कोई महत्व नहीं है। साध्य के साथ-साथ साधन का पवित्र होना भी अत्यंत आवश्यक है, अन्यथा लक्ष्य का अंतिम परिणाम नकारात्मक हो सकता है।कार्यक्रम के अंत में शहीदों की याद में दो मिनट का मौन रखा गया। मंच संचालन श्री भीष्म कौशिक ने किया।






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