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फ्लू का आया सीजन, रखे सावधानी

सर्दी या जुकाम है, तो चिकित्सक को अवश्य दिखाएं : सीएमएचओ डॉ. नवनीत शर्मा

हनुमानगढ़। फ्लू का सीजन आते ही हर साल देश में इन्फ्लुएंजा के मामले तेजी से बढऩे लगते हैं। आमतौर पर इन्फ्लुएंजा के टाइप ए और बी लोगों को ज्यादा प्रभावित करते हैं। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. नवनीत शर्मा ने बताया कि इन्फ्लुएंजा एक तरह का मौसमी फ्लू है, जिसे आमतौर पर नाक, गले और फेफड़ों में होने वाले संक्रमण के रूप में जाना जाता है। यह संक्रमण इन्फ्लुएंजा नामक वायरस की वजह से होता है। इन्फ्लुएंजा के शिकार अधिकांश लोग अपने आप ही ठीक हो जाते हैं। लेकिन कभी-कभी यह वायरस जानलेवा साबित हो सकता है। उन्होंने बताया कि इन्फ्लुएंजा वायरस 4 प्रकार के होते हैं जिसमें- टाइप ए, बी, सी और डी शामिल है। इन्फ्लुएंजा ए और बी वायरस के फैलने से लोग सीजनल वायरल का शिकार होते हैं। डॉ. नवनीत शर्मा ने बताया कि राज्य पर भेजी गई 17 सैम्पल रिपोर्ट में से 8 मरीजों में इंफ्लूएंजा-बी के वायरस पाए गए हैं जबकि दो मरीजों में अन्य इन्फेक्शन भी पाए गए हैं। उन्होंने बताया कि 1-1 व्यक्ति में अन्य रोग का इन्फेक्शन पाया गया है। उन्होंने कहा कि चिकित्सा विभाग की सर्वे टीमों द्वारा घर-घर जाकर सर्वे की कार्यवाही प्रारम्भ कर दी गई है। इसके अलावा चिकित्सा संस्थानों पर भी आवश्यक इन्तजाम, उपचार एवं समस्त व्यवस्थाओं के दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं।

इन्फ्लुएंजा के लक्षण

- बुखार

- सिर दर्द

- आँखों में दर्द

- गले में खराश

- मांसपेशियों में दर्द

- सांस लेने में कठिनाई

- थकान और कमजोरी

- बहती या भरी हुई नाक

- सूखी और लगातार खांसी

- ठंड लगना और पसीना आना

- उल्टी और दस्त (बच्चों में ज्यादा)

ऐसे करें इंफ्लूएंजा फ्लू से अपना बचाव

- बाहर निकलते समय या आफिस में हमेशा फेस मास्क पहनें
- खांसते या छींकते समय नाक और मुंह को अच्छी तरह कवर करें
- भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें
- हाथों को समय-समय पर पानी और साबुन से धोते रहें
- खुद को हाइड्रेट रखें, पानी- फ्रूट जूस या अन्य पेय पदार्थ लेते रहें
- नाक और मुंह छूने से बचें
- बुखार आने की स्थिति में पैरासिटामोल लें
- पब्लिक प्लेस पर न थूकें और न ही हाथ मिलाएं
- चिकित्सक की सलाह लिए बगैर कोई दवाई नहीं लें
- लक्षण आने पर नजदीकी चिकित्सक से परामर्श लें

इन्फ्लुएंजा फैलने के कारण

- इन्फ्लुएंजा वायरस हवा के जरिए ड्रॉपलेट के रूप में फैलता है। जब कोई संक्रमित व्यक्ति खांसता, छींकता या बात करता है, तो इससे निकलने वाले ड्रॉपलेट्स दूसरों को संक्रमित कर सकते हैं।

- इसके अलावा अगर आप संक्रमित सतह वाली किसी वस्तु को छूते हैं, तो इससे भी यह वायरस फैल सकता है।

- यह वायरस जब जीवित रूप में हवा में होते हैं, तो सांस के जरिए यह हमारे शरीर में आसानी से चले जाते हैं।

- इसके अलावा हमारे आंख, नाक या मुंह के सम्पर्क में आने पर भी यह वायरस आसानी से हमारे अंदर आ जाते हैं।

रिस्क फैक्टर्स

उम्र : इस वायरस का खतरा 6 महीने से 10 साल की उम्र के बच्चे और 65 साल से अधिक उम्र के लोगों को ज्यादा होता है।

जीवनशैली और कार्यस्थल : ज्यादा भीड़-भाड़ वाली जगहों और कार्य स्थल जैसे नर्सिंग होम, अस्पतालों, अनाथालय, कारखाने या सैन्य बैरक में आदि में काम करने या रहने वाले लोग इस वायरस की चपेट में आ सकते हैं।

गर्भावस्था : गर्भवती महिलाओं में, खासकर पहली तिमाही के बाद इन्फ्लुएंजा के विकसित होने और इसके जटिल रूप लेने की आशंका दूसरों के मुकाबले ज्यादा होती है।

कमजोर इम्युनिटी : अगर आपकी इम्युनिटी कमजोर है, तो भी इस वायरस से आपके संक्रमित होने और इसके गंभीर बीमारी बनने की संभावना अधिक है।

पुरानी बीमारियां : अगर आप किसी पुरानी बीमारी जैसे डायबिटीज, लंग डिजीज, अस्थमा, हृदय रोग, तंत्रिका तंत्र के रोग, किडनी,लिवर आदि की समस्या के शिकार है, तो यह इन्फ्लुएंजा के जोखिम को बहुत बढ़ा सकती है।

19 वर्ष से कम उम्र में एस्पिरिन का उपयोग : अगर कोई व्यक्ति 19 साल की कम उम्र में एस्पिरिन थेरेपी ले रहा है, तो उनमें इन्फ्लुएंजा विकसित होने का खतरा अधिक होता है।

मोटापा : जिन लोगों का बीएमआई 40 से ऊपर है, उनसमें फ्लू और इसकी जटिलताओं के विकास का जोखिम काफी ज्यादा होता है।

इन्फ्लुएंजा से जुड़ी जटिलताएं

इस फ्लू से जुड़ी जटिलताएं काफी कम देखने को मिलती है। अगर आप युवा और स्वस्थ हैं, तो फ्लू आमतौर पर गंभीर नहीं होता है। हालांकि, फ्लू होने पर आप थकान महसूस कर सकते हैं, लेकिन आमतौर पर फ्लू एक या दो सप्ताह में चला जाता है। लेकिन उच्च जोखिम वाले बच्चों और वयस्कों में कुछ जटिलताएं विकसित हो सकती हैं, जिनमें निम्न शामिल हैं:

- न्यूमोनिया

- ब्रोंकाइटिस

- कान के संक्रमण

- हृदय की समस्याएं

- अस्थमा ट्रिगर होना

- एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम

- इन्फ्लुएंजा से बचाव

- इन्फ्लुएंजा से बचाव के लिए जरूरी है कि आप दिन कई बार अपने हाथों को साबुन से धोएं।

- हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें।

- बार-बार अपने चेहरे को छूने से बचें।

- टेबल, डेस्क, दरवाजे आदि को लगातार साफ करते रहें।

- कहीं भी बाहर से घर लौटने के बाद तुरंत हाथ धोएं।

- खांसते या छींकते समय अपना मुंह अच्छे से ढकें।

- अगर आप संक्रमित हैं या आपमें लक्षण नजर आ रहे हैं, तो लोगों से मिलने से बचें।

डॉक्टर के पास कब जाए

अगर आपको फ्लू के लक्षण हैं और जटिलताओं का खतरा है, तो डॉक्टर को दिखा सकते हैं। एंटीवायरल दवाइओं से आपकी बीमारी जल्द ठीक हो जाएगी है और इसके जटिल होने की संभावना की कम हो जाएगी। हांलाकि, फ्लू होने पर अगर आपको कोई लक्षण दिखे, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। इन गंभीर और आपातकालीन लक्षणों में निम्न शामिल हैं-

- चक्कर आना

- डिहाईड्रेशन

- अत्यधिक थकावट

- मांसपेशियों में ददज़्

- सांस लेने में कठिनाई या सीने में दर्द




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