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जिला स्तरीय कार्यशाला

गुलाबी सुंडी नियंत्रण हेतु जिला स्तरीय कार्यशाला




हनुमानगढ़। बीटी कपास में हो रहे गुलाबी सुंडी के प्रकोप को नियंत्रित करने एवं इसके प्रबंधन हेतु शुक्रवार को जंक्शन स्थित अग्रसेन भवन में जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला की अध्यक्षता जिला कलेक्टर काना राम ने की। कार्यशाला में कृषि विभाग के समस्त अधिकारी, फील्ड स्टाफ, बीटी कपास उत्पादक किसान, कृषि आदान विक्रेता, बीज कंपनियों और कीटनाशक रसायन उत्पादक/विपणनकर्ता कंपनियों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। जिला कलेक्टर काना राम ने कार्यशाला को किसान हित में अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए निर्देश दिए कि इस विषय पर प्रत्येक ब्लॉक और ग्राम पंचायत स्तर पर किसान गोष्ठियां आयोजित की जाएं। साथ ही वीडियो के माध्यम से किसानों को जागरूक किया जाए। उन्होंने कहा कि पंचायत स्तर पर होने वाली गोष्ठियों की मॉनिटरिंग वे स्वयं करेंगे। कार्यशाला में प्रमुख वक्ता के रूप में पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना के कीट विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. विजय कुमार उपस्थित रहे। उन्होंने बीटी कपास पर प्रभाव डालने वाले हानिकारक एवं मित्र कीटों के जीवन चक्र, उनके द्वारा फसल को होने वाले नुकसान तथा उनके नियंत्रण की तकनीकी जानकारी दी। विशेष रूप से गुलाबी सुंडी (पेक्टिनोफोरा गॉसिपिएला) के जीवन चक्र, पहचान और नियंत्रण के उपायों पर विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि यह कीट सर्वप्रथम 2018 में हरियाणा और पंजाब के कुछ क्षेत्रों में देखा गया और 2021 में इसका प्रभाव राजस्थान के हनुमानगढ़ व गंगानगर जिले तक पहुंचा। इस कीट का जीवन चक्र, विशेषतः प्यूपा अवस्था में, कपास के बीजों व टिंडों में पाया जाता है, जिससे यह अगले सीजन में पुनः सक्रिय हो जाता है। कार्यशाला में गुलाबी सुंडी की रोकथाम हेतु मिलों में बिनौलों को खुले में न रखने, उन्हें पॉलिथीन शीट से ढकने, मार्च के अंत तक उपयोग में लेने अथवा एल्युमिनियम फॉस्फाइड की फ्यूमिगेशन विधि अपनाने की सलाह दी गई। जिनिंग उपरांत बचा हुआ कचरा नष्ट करने तथा खेतों से अवशेष हटाने के निर्देश दिए गए।संयुक्त निदेशक कृषि डॉ. प्रमोद यादव ने बताया कि बीज की उचित दूरी, प्रमाणित बीज का प्रयोग, खरपतवार नियंत्रण, समय पर बुवाई जैसे कदम अपनाकर कीट प्रकोप को काफी हद तक रोका जा सकता है। डॉ. जोगेंद्र सिंह व श्री जयनारायण बैनीवाल ने भी तकनीकी जानकारी साझा की। कार्यशाला में जनप्रतिनिधि अमित सहू, आत्मा परियोजना निदेशक सुभाष चंद्र डूडी, सहायक निदेशक  संजीव कुमार, डॉ. राधेश्याम पारीक, बी.एल. डाबला सहित कई गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे। अंत में डॉ. प्रमोद यादव ने सभी प्रतिभागियों व अतिथियों का आभार प्रकट किया।





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