सीएचसी संगरिया एवं सीएचसी गांधीबड़ी में आयोजित चिकित्सा शिविर में 17 नए मरीजों ने उपचार लेना शुरु किया
मानस अभियान : कैम्प में 157 मरीजों की हुई स्वास्थ्य जांच
हनुमानगढ़। जिला कलक्टर कानाराम के निर्देशन में हनुमानगढ़ को नशा मुक्त करने के लिए चलाए जा रहे मानस अभियान के तहत शुक्रवार 2 मई को सीएचसी संगरिया एवं सीएचसी गांधीबड़ी में नशा मुक्ति शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में 17 नए मरीजों ने मनोचिकित्सक से काउंसलिंग के बाद नशा छोडऩे का प्रण लिया। नशा मुक्ति चिकित्सा शिविरों में आए 157 मरीजों की काउंसलिंग की। सीएमएचओ डॉ. नवनीत शर्मा ने बताया कि जिला कलक्टर श्री कानाराम के निर्देशन में मानस अभियान के तहत नशा मुक्ति शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। डॉ. शर्मा ने बताया कि शुक्रवार 2 मई को सीएचसी संगरिया सीएचसी गांधीबड़ी में नशा मुक्ति शिविर आयोजित किए गए। उन्होंने बताया कि सीएचसी संगरिया में आयोजित शिविर में मनोचिकित्सक डॉ. ओपी सोलंकी एवं सीएचसी इंचार्ज डॉ. अरविंद शर्मा ने मरीजों की जांच की। शिविर में 129 मरीज उपचार के लिए पहुंचे, जिनमें से 41 मरीज नशों का सेवन करते थे। कैम्प में आए सभी मरीजों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। इनमें से 9 नए मरीजों ने नशा छोडऩे की इच्छा जताई, जिनकी काउंसलिंग कर उपचार शुरु किया गया। पूर्व में आयोजित नशामुक्ति शिविर में अपना उपचार करवा चुके 82 मरीज भी पुन: उपचार लेने के लिए शिविर में पहुंचे। सीएचसी संगरिया में आयोजित शिविर में नजदीक क्षेत्र के 3 मरीज पूर्ण रूप से नशों का सेवन करना छोड़ चुके हैं। शिविर में 19 मरीज चिट्टा एवं मेडिकेटिड नशों का सेवन करते थे, जिनकी भी काउंसलिंग की गई। डॉ. शर्मा ने बताया कि सीएचसी गांधीबड़ी में आयोजित शिविर में मनोचिकित्सक डॉ. सुनील कुमार एवं सीएचसी इंचार्ज डॉ. घनश्याम यादव ने मरीजों की जांच की। शिविर में 28 मरीज उपचार के लिए पहुंचे, जिनमें से 18 मरीज नशों का सेवन करते थे। कैम्प में आए सभी मरीजों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। इनमें से 8 नए मरीजों ने नशा छोडऩे की इच्छा जताई, जिनकी काउंसलिंग कर उपचार शुरु किया गया। पूर्व में आयोजित नशामुक्ति शिविर में अपना उपचार करवा चुके 9 मरीज भी पुन: उपचार लेने के लिए शिविर में पहुंचे। सीएचसी गांधबड़ी में आयोजित शिविर में नजदीक क्षेत्र के 2 मरीज पूर्ण रूप से नशों का सेवन करना छोड़ चुके हैं। शिविर में 19 मरीज चिट्टा एवं मेडिकेटिड नशों का सेवन करते थे, जिनकी भी काउंसलिंग की गई। शिविर में उपचार के लिए आए मरीजों एवं उनके परिजनों को नशों के दुष्प्रभाव से परिवार एवं समाज पर होने वाले हानिकारक दुष्प्रभावों के बारे में जानकारी दी। अंत में सभी मरीजों एवं उनके परिजनों को नशा ना करने की शपथ दिलाई।