गेहूं बुवाई से पहले पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होगी डीएपी उर्वरक, 10 दिनों में 6600 मी.टन की आपूर्ति
हनुमानगढ़। जिले में डीएपी उर्वरक की आपूर्ति व वितरण व्यवस्था को लेकर संयुक्त निदेशक कृषि (विस्तार) डॉ. प्रमोद कुमार ने बताया कि अक्टूबर माह की वास्तविक मांग 9500 मीट्रिक टन है। इसके विरुद्ध जिले में 10 अक्टूबर, 2025 तक 6600 मीट्रिक टन की आपूर्ति की जा चुकी है। जिले में गेहूं बुवाई से पहले पर्याप्त मात्रा में डीएपी उर्वरक की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी।
अक्टूबर माह के पहले दस दिनों में ही जिले में 4440 मीट्रिक टन डीएपी उपलब्ध था। इसके अतिरिक्त 11 अक्टूबर को सीएफसीएल से 1260 मीट्रिक टन तथा एनएफएल से 900 मीट्रिक टन यानी कुल 2160 मीट्रिक टन की आपूर्ति होने जा रही है। इस प्रकार किसानों को मांग के अनुरूप समय पर उर्वरक उपलब्ध कराने की प्रक्रिया जारी है।
ब्लॉकवार विवरण के अनुसार हनुमानगढ़ में 1025 मी.टन, संगरिया में 747.5 मी.टन, पीलीबंगा में 857 मी.टन, टिब्बी में 515.5 मी.टन, रावतसर में 539.5 मी.टन, नोहर में 365.5 मी.टन तथा भादरा में 390 मी.टन डीएपी की उपलब्धता दर्ज की गई है।
डॉ. यादव ने बताया कि डीएपी वितरण विभागीय अधिकारियों और कार्मिकों की देखरेख में किया जा रहा है। अधिक भीड़ की स्थिति में किसानों को लाइन लगवाकर व्यवस्थित रूप से उर्वरक दिया जा रहा है। प्रशासन का प्रयास है कि किसी भी किसान को उर्वरक के लिए परेशान न होना पड़े।
डीएपी की बढ़ी हुई मांग का मुख्य कारण आगामी माह में गेहूं की बुवाई है। किसान अभी से आवश्यक उर्वरक क्रय करना चाहते हैं, जिससे बुआई के समय पर्याप्त रहे। कृषि विभाग ने किसानों से अपील की है कि वे घबराहट में अनावश्यक जमाखोरी न करें और निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार समय पर डीएपी प्राप्त करें। इस सीजन में 28000 मेट्रिक टन डीएपी की खपत अनुरूप डिमांड की गई है, डीएपी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है तथा किसानों को उपलब्ध करवाई जा रही है।
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