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हर घर किचन गार्डन"

अभिनव प्रयास: विद्यार्थियो को सब्जियों के बीजो का निःशुल्क वितरण कार्यक्रम, किचन गार्डन विकसित कर शुरू किया नवाचार

पोषण के साथ साथ विद्यार्थियों को प्रकृति के प्रति जागरूक कर अच्छी आदत की गई विकसित

टिब्बी। राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में विद्यालय प्रशासन व स्टाफ सदस्यों के सहयोग से विद्यार्थियो में प्रकृति के प्रति प्रेम, स्वरोजगार, आर्गेनिक सब्जियों को बढ़ावा व कुपोषण के प्रति जागरूक करने के लिए निःशुल्क बीज वितरण का नवाचार का कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इस हेतु विद्यालय के एसयूपीडबल्यू यूथ एंड ईको क्लब राशि, विकास और छात्र शुल्क का सदुपयोग किया जा रहा है। खास बात ये है कि प्रधानाचार्य की प्रेरणा से अंग्रेजी प्राध्यापक और ईको क्लब प्रभारी श्रीमती दलजीत कौर ने कोरोनाकाल के पश्चात विद्यार्थियो को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने, कुपोषण से बचाव के लिए शुद्ध एवं स्वस्थ प्रकृति के प्रति अच्छी आदत विकसित करने के लिए निःशुल्क बीज वितरण का कार्यक्रम चलाया। जो स्टाफ सदस्यों के सहयोग  व विद्यार्थियो की सक्रिय भागीदारी से निरन्तर जारी है। परिणास्वरूप विद्यालय में किचन गार्डन विकसित कर कार्यक्रम को शुरू किया। नवाचारी कार्यक्रम में विद्यार्थियो को बताया कि किसी बीज का उगना जरूरी है तभी तो वह फल देगा। और बालिकाओं को अपने अपने घरों में सब्जियों के बीज लगाने के लिए प्रेरित कर बीज वितरित किए। जिससे बाद इस कार्यक्रम को विस्तृत कर अन्य को भी कई वर्षों से वितरित किये जा रहे है। विद्यालय में अनेक आयोजित कार्यक्रमों मे निशुल्क बीज वितरण के लिए स्टॉल भी लगाकर आमजन को वितरित किए जाते है। इसमें सब्जियों के साथ साथ आर्लियर  जैसे हेज के अलावा फूलों के बीज भी वितरित किए गए। बेल वाली सब्जियों के बीज की अधिक मांग रहती है।इस वर्ष खेजड़ी के भी 400 पौधे क्षेत्रवासियों को बांटे गए। विद्यालय की करीब 300 बालिकाओं की भागीदारी के साथ साथ  प्रकृति के प्रति अच्छी आदत भी विकसित हुई। 

किचन गार्डन की सब्जियों का पोषाहार में होता है उपयोग

विद्यालय में बिना पेस्टीसाइड के विकसित किचन गार्डन में उगने वाले सब्जियों पालक, धनिया, मैथी, मूली, मटर, आलू, प्याज आदि का प्रतिदिन पोषाहार में भी उपयोग किया जा रहा है जिससे विद्यार्थियो को हरी सब्जियों से युक्त पौष्टिक भोजन दिया जा रहा है। जिससे बालिकाओं में कुपोषण आदि से छुटकारा मिलने के साथ साथ स्वास्थ्य के प्रति जागरूक भी हुई। 

"विद्यार्थियों में प्रकृति के प्रति लगाव व समझ विकसित की गई है। जिससे वे बीज को उगने के लिए अवसर दे। और वे बीज एक पौधा बनकर फूल व फल दे सके। इससे विद्यार्थियो को कुपोषण से मुक्ति, स्वरोजगार, सहित अच्छी आदते विकसित होगी।"  

                            दलजीत कौर, प्राध्यापक रा. बा. उ. मा. वि.                                                                टिब्बी

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